15 अगस्त 1995 में देश के 2408 ब्लॉकों में शुरू की गई मिड डे मील योजना जिसमें 6 से 14 साल के बच्चों को प्राथमिक पाठशालाओं में मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। 1997-98 में इस योजना को देश के सभी ब्लॉकों में शुरू कर दिया गया। इस योजना का 29 सितम्बर 2021 को नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया है।
वर्ष 2003 में इसका विस्तार शिक्षा गारंटी केन्द्रों और वैकल्पिक व नवाचारी शिक्षा केन्द्रों में पढ़ने वाले छात्रों तक कर दिया गया। अक्तूबर, 2007 से इसका देश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 3479 ब्लाकों में कक्षा VI से VIII में पढ़ने वाले बच्चों तक विस्तार कर दिया गया है। वर्ष 2008-09 से यह कार्यक्रम देश के सभी क्षेत्रों में उच्च प्राथमिक स्तर पर पढने वाले सभी बच्चों के लिए कर दिया गया है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना विद्यालयों को भी प्रारंभिक स्तर पर मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत 01.04.2010 से शामिल किया गया है।
29 सितंबर 2021 में केंद्र सरकार ने मिड डे मील योजना को परिवर्तित करके प्रधानमंत्री पोषण योजना की शुरुआत की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिली है। इससे देश भर के 11.2 लाख से अधिक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है।
प्रधानमंत्री पोषण योजना के दायरे में अब एक से 5 साल तक के बच्चे भी आएंगे। आपको बता दें कि मिड-डे मील योजना का लाभ 6 से 14 साल तक के बच्चों को मिलता था लेकिन अब पीएम-पोषण योजना के तहत दोनों वर्ग के बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाएगा। इस योजना का बोझ केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएंगे। राज्य के मुकाबले केंद्र सरकार का ज्यादा सहयोग होगा।
प्रधानमंत्री पोषण योजना पर खर्च
मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री पोषण योजना 5 साल तक चलेगी और 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक ‘बाल वाटिका’ में भाग लेने वाले 1-5 वर्ष की आयु के प्री-स्कूल बच्चों को भी योजना के तहत कवर किया जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक इस योजना के तहत स्थानीय स्तर पर उगाए गए पौष्टिक खाद्यान्न को स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
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