Chhath Pooja 2021 पर्व की शुरुआत हो चुकी हैl 8 नवम्बर सोमवार के दिन से नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ किया गया l यह पर्व चार दिनों तक चलता हैl इस पर्व की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी से होता है और सप्तमी की सूर्योदय के समय सूर्य अर्घ्य से इसका समापन हो जाता हैl इस वर्ष यह पर्व 8 नवम्बर 2021 से प्रारंभ हो कर 11 नवम्बर 2021 तक चलेगाl
Chhath Pooja 2021 का महत्त्व
करोड़ों लोगों की आस्था से जुडा छठ का पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धीरे धीरे प्रचलित होता जा रहा हैl छठ पर्व में व्रत का विशेष महत्त्व हैl बेहतर स्वाश्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत का विशेष महत्त्व हैl इस व्रत में भगवान् सूर्य नारायण की पूजा का विशेष महत्त्व हैl
यह व्रत सबसे कठिन व्रत होता हैl भारत के बिहार और झारखंड राज्य में इस व्रत को सबसे अधिक मनाया जाता हैl सूर्यपुत्र कर्ण जो की अंग देश के राजा थे जो भगवान् सूर्य नारायण के उपासक थे और उनकी उपासना के कारण वहां सूर्य नारायण की कृपा हमेशा बनी रहती थीl इसलिए छठ का पर्व का कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को इस पूजा का विशेष विधान हैl
Chhath Pooja 2021 क्यों मनाया जाता है

Chhath Pooja 2021 से जुडी कुछ पौराणिक कथाये हैं जिनसे यह माना जाता है की छठ पूजा का कितना महत्त्व है और यह क्यों मनाया जाता है आइये जानते है कुछ वो क्या है पौराणिक कथायेl
भगवान राम और माता सीता से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास कर सूर्यदेव की अराधना की थी. इसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आर्शीवाद लिया थाl
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द्रौपदी ने भी की थी सूर्य देवता की पूजा
ऐसा कहा जाता है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी सूर्यदेव की अराधना की थीl द्रौपदी अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित रूप से सूर्य भगवान की पूजा करती थींl
कर्ण से जुड़ी सूर्य देव की पूजा की कहानी
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा की थी और कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थेl वह प्रतिदिन कई घंटों तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की अराधना किया करते थे और उन्हें अर्घ्य देते थेl
कैसे की जाती है छठ की पूजा की विधि
छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है इस दिन को नहाय खाय कहा जाता है इस दिन से व्रती नमक खाना छोड़ देता हैl इस दिन महिलाये नहा धोकर खाना बनाती हैl
दूसरा दिन यानी की कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि खरना के नाम से जाना जाता हैl इस दिन महिलाये भूंखे प्यासे रहकर खीर का प्रसाद बनाती है और इस खीर के प्रसाद में चीनी की जगह गुड का प्रयोग किया जाता हैl शाम को यही प्रसाद व्रती महिलाये एवं पुरुष ग्रहण करते हैl यह प्रसाद लेने के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती हैl
तीसरे दिन यानी की कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि जिसे हम छठ पूजा के नाम से जानते है उस दिन सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य नारायण को दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है साथ ही में ठेकुआ और फल का प्रसाद सूर्यदेव को अर्पित किया जाता हैl
चौथे दिन यानी यानी की कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय उगते सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ व्रती प्रसाद ग्रहण करता है और व्रत का समापन हो जाता हैl
Chhath Pooja 2021 की तिथियाँ
- 8 नवम्बर 2021 (कार्तिक शुक्ल चतुर्थी)- नहाय खाय
- 9 नवम्बर 2021 (कार्तिक शुक्ल पंचमी)- खरना
- 10 नवम्बर 2021 (कार्तिक शुक्ल षष्टी)- छठ पूजा
- 11 नवम्बर 2021 (कार्तिक शुक्ल षष्टी)- व्रत समापन
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