H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस क्या है? इसके लक्षण और बचने के उपाय क्या है?

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पिछले 3 सालो से देशभर को कोविड की समस्या से सामना करना पड़ रहा था जिससे बाद से खासी, बुखार, जुखाम होना आम सी बात हो गई है जिसका कारण मौसम का बदलाव भी होता है। तो वहीं जहां एक तरफ कोविड के मामले फिर से सामने आ रहे तो दूसरी तरह एडिनो और  H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस के मामले में बढोतरी देखी जा रही है। इसके लक्षण वैसे तो एक सामान्य फ्लू की तरह ही है लेकिन अगर लक्षण ज्यादा समय तक रहते हैं तो चिंता की बात है ये संक्रमण भी हो सकता है। इसके लिए हमें इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है तो आइए जानते हैं 

H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस क्या है?

H3N2 दरअसल एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा A type का वायरस है। type A से मतलब है कि ये मनुष्यों और जानवरों दोनो को संक्रमित करता है। हालाकि ये एक गैर मानव वायरस है जो आमतौर पर सुअरो में फैलते है जिसे स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस कसते हैं जो इनके संपर्क में आने वाले मनुष्यो को भी संक्रमित करता है। मनुष्यो में संक्रमित होने पर इन्हें “वेरिएंट वायरस” कहा जाता है। ये फ्लू वैसे तो हमारी शरीर के ऊपरी स्वसन भागो जैसे नाक गले को प्रभावित करता है लेकिन कुछ  कुछ मामलों में  ये फेफड़ों को भी संक्रमित करता है। आमतौर पर यह वायरस सर्दी या फ्लू के मौसम में फैलता है। 

2011 में पहली बार एवियन स्वाइन और मानव फ्लू के साथ 2009 में आए H1N1 वायरस के M जीन के साथ H3N2 का पता चला था। 2010 में सबसे पहले ये सुआरो में फेल रहा था लेकिन 2011 में लोगो ने इसके फैलते का पता चला। इसमें 2009 के M जीन के शामिल होने की वजह से ये इन्फ्लूएंजा लोगो को अन्य फ्लू की तुलना में अधिक संक्रमित कर सकता है। 

कैसे फैलता है H3N2 इंफ्लूएंजा?

CDC(रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) की रिपोर्ट के अनुसार, H3N2 इन्फ्लूएंजा सूअरों से इंसानों में किसी आम फ्लू की तरह ही खांसने या छीकने से फैलता है। मुख्य रूप से यह सुअरो के खांसने से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। जो सांस लेते समय  शरीर में जाता है और संक्रमित करता है।

इसके साथ ही ये फ्लू इंसानों से इंसानों में भी फैल सकता है फिलहाल अभी तक तो इसके कम्यूनिटी स्प्रेड के मामले सामने नहीं आए हैं। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने के साथ निकली छोटी-छोटी बूंदों की वजह से फैल सकता है. यहां तक कि संक्रमित व्यक्ति के बात करने के दौरान निकलने वाली ड्रॉप्लेट्स के स्वास के जरिए दूसरे व्यक्ति में जाने से भी यह फ्लू फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति यदि अपने मुंह, नाक को छूता है और यदि आप उसके संपर्क में आते हैं तो आप इस फ्लू से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गो में H3N2 से संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है।

H3N2 के लक्षण क्या है?

H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस के लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के कहे अनुसार, H3N2 के लक्षण सामान्य मौसमी फ्लू की तरह ही है। लेकिन अगर ये लक्षण ज्यादा समय के लिए दिखाई देते हैं तो वायरस का कारण हो सकता है। इसके मुख्य लक्षणों में – बुखार, मांसपेशियों में दर्द, खाँसी, सिरदर्द, बहती नाक, थकान, ठंड लगना, गले में खराश, दस्त, उल्टी आदि पाए गए है। 

कैसे पता करे की सामान्य फ्लू है या इंफ्लूएंजा वायरस?

किसी भी बीमारी से निदान पाने के लिए हमे उसके लक्षण और कारणों का पता होना बहुत जरूरी है जिससे उसका इलाज हो सेI वैसे तो इस इंफ्लूएंजा के लक्षण नॉर्मल फ्लू की तरह ही है लेकिन ICMR ने बताया है कि इसमें 5 से 7 दिन तक रह सकता है बुखार , 3 हस्ते से ज्यादा खासी रह सकती है। 

कैसे करें रोकथाम?

कोरोना वायरस की तरह ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने  इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और mask लगाने की सलाह दी है इसके अतरिक्त भी कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है इसके लिए –

अपने हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएं 

फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों में जाने से बचें 

अपनी नाक और मुंह को छूने से बार बार n छुए 

खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढक लें 

अपने आप को हाइड्रेटेड रखे और खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें 

बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल लें तथा डॉक्टर का परामर्श जरूर लें।

ICMR की सलाह

ICMR ने कहा कि जब तक जरूरी न हो मरीजों को एंटीबायोटिक दवा न दी जाए इससे मरीजों को और भी समस्या हो सकती है। H3N2 को कोरोना की तरह इसलिए कहा गया है क्योंकि इससे प्रभावित अस्पताल में भर्ती मरीजों में 86% व्यक्तियो को खांसी, 27% को सांस लेने में तकलीफ और 10% को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि यह वायरस उन लोगो को ज्यादा प्रभावित कर रहा जो कोविड 19 से संक्रामित है इसके अलावा 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। 

H3N2 से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी  

भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के दो शिखर देखे जाते हैं: पहला जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद से । 

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं में H3N2 A इंफ्लूएंजा से संक्रमित लोगो और मृत्युदर पे निगरानी की जा रही है। भारत में H3N2 का पहला मामला कर्नाटक के एक बुजुर्ग में इसके बाद हरियाणा के एक व्यक्ति में देखा गया था।

गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोविड के 426 नए मरीज सामने आए हैं।

भारत के एनसीडीसी (राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र), आईडीएसपी (एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम) द्वारा ओपीडी और स्वास्थ्य सुविधाओं के आईपीडी में पेश होने वाले इन्फ्लुएंजा जैसे बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की लगभग वास्तविक समय निगरानी की जाती है।

आईडीएसपी-आईएचआईपी (एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच) से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्यों द्वारा 2023 में मार्च के पहले हफ्ते तक H3N2 के साथ साथ इन्फ्लुएंजा के विभिन्न उपप्रकारों के कुल 3038 मामलों का पता लगा है। इसमें जनवरी में 1245, फरवरी में 1307 और मार्च मे पहले 10 दिनों के अंदर 486 मामले शामिल हैं।

पूरे भारत मे 24 मार्च तक के H3N2 इन्फ्लूएंजा के केसेस :

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SARI (गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी) के भर्ती मामलों के संबंधित आंकड़े को देखते हुए जनवरी 2023 में 7041 मामले, फरवरी 2023 में 6919 और मार्च 2023 के पहले हफ़्ते में 1866 मामले शमिल हैं।

इसके अलावा, स्वास्थ्य सुविधाओं से आईडीएसपी आईएचआईपी जो डेटा प्रस्तुत करता है उसके अनुसार जनवरी 2023 में स्वास से संबंधित इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों के कुल 397,814 मामले सामने आए थे, जो फरवरी के दौरान थोड़ा बढ़कर 436,523 तथा मार्च के पहले 10 दिनों में संख्या 133,412 हो गई हैं।

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