– हमारा शरीर पञ्च तत्वों (धरती,आकाश, वायु, जल, अग्नि ) से मिलकर बना हुआ है। आयुर्वेद हमारे शरीर के इन्हीं पंचतत्व के संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है।
– आयुर्वेद विज्ञान में शरीर के वात, पित्त, और कफ़ इन तीन दोषों के असंतुलन के आधार पर शरीर का उपचार किया जाता है। आयुर्वेद में कहा जाता है कि शरीर में इन तीनों दोषों के असंतुलन के कारण बीमारियां उत्पन्न होती है।
हम सभी ने यह सुना है कि दही ठंडा होता है। लेकिन आयुर्वेद की सभी संहिताओं में दही को ऊष्ण (गरम) कहा गया है। इसे गर्मी की ऋतु में खाने से ज्यादा शरद ऋतु में खाने से फायदे होते हैं।