चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य ने जीवन जीने के कुछ ऐसे सूत्र बताये हैं। जिनको यदि जीवन में उतरा जाये तो आपका जीवन सफल हो जायेगा।

चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में एक अच्छे पुत्र के गुणों के बारे में बताया है।

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चाणक्य कहते हैं कि पुत्र ऐसा होना चाहिए जिसके कर्मों से व्यक्ति के कुल का यश बढे।

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एक अच्छे पुत्र को सदैव अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उसे कभी भी अपने माता-पिता की आज्ञा विरुद्ध नहीं जाना चाहिए।

चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी व्यक्ति के सैकड़ों बुद्धिहीन पुत्रों से अच्छा एक योग्य और बुद्धिवान होना चाहिए।

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मूर्ख और बुद्धिहीन पुत्र सदैव ही माता-पिता के दुश्मन के सामान होता है। पुत्र यदि बिद्धिहीन होता है तो माता-पिता का जीवन कष्टों से भर जाता  है।    

चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य बताते हैं की हर व्यक्ति को अपने पुत्र को 5 वर्ष तक प्रेम करना चाहिए। 5 से 10 वर्ष तक कड़ी नज़र में रखना चाहिए।

चाणक्य नीति

बुरे कर्मों से कमाया गया धन कभी दान नहीं करना चाहिए। ऐसा दान कभी सफल नहीं होता है।

चाणक्य नीति

और 10 वर्ष से 16 वर्ष तक अपने पुत्र के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। एक मित्र बन कर आप अपने पुत्र को जो शिक्षा दे पाएंगे वह आप उसे सख्ती से नहीं दे पाएंगे।

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यदि आप अपने पुत्र के साथ मित्रता का व्यवहार करेंगे तो वह भी आपकी बातों को तथा आपके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को भली भांति समझ पायेगा।

चाणक्य नीति

एक अच्छा पुत्र वह होता है जो अपने माता पिता की वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करता है तथा उनके लिए हर संभव प्रयास करता है।

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बुद्धिमान पुत्र अपने माता पिता के नाम को उज्जवल करता है। लेकिन एक बुद्धिहीन पुत्र अपने ही कुल का नाश करता है।

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