तुमरुका जी भगवन शिव के भक्त हैं, जिनका शरीर मनुष्य का और सिर अश्व (घोड़े) का है। 

नारद जी की तरह ही तुमरुका जी के हाथों में भी वीणा रहती है। वे बहुत ही श्रेष्ठ गायक हैं। 

तुमरुका जी शिव महापुराण की कथा का कथावाचन करते हैं। इन्होने ही देवी चंचला अर्थात माता लक्ष्मी जी को शिवमहापुराण की कथा सुनाई थी। 

तुमरुका जी के पिता कश्यप और माता प्रधा थीं। इनके चार भाई भी थे। 

पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा उनकी शिव महापुराण की कथा में अक्सर तुमरुका जी की कथा का ज़िक्र किया जाता है। जिसमें पंडित जी बताते है कि तुमरुका जी एक महान शिव भक्त थे। 

जो शिव महापुराण का पाठ करते रहते थे। प्रदीप जी बताते कि जो भी भक्त शिव पूजा करते समय तुमरुका जी का नाम लेता है उसे शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

शिव महापुराण की कथा के अनुसार यदि किसी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नही हो रही है। काफी डॉक्टरों से इलाज़ कराने पर भी संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही है 

तो उस दम्पति को तुमरुका जी के इस उपाय को करना चाहिए। स्त्री के रजस्वला यानी मासिक के 7वें दिन सफेद आंकड़े की जड़ को लेकर शिवलिंग पर सात बार घुमाकर तुमरुका जी का नाम लेते हुए शिव जी से प्रार्थना करे। 

फिर उस जड़ को किसी लाल कपड़े में बांधकर स्त्री की कमर में बांध दें। शिव जी की कृपा से जल्द ही उस दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होगी।