चाणक्य नीति

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आचार्य चाणक्य ने जीवन जीने के कुछ ऐसे सूत्र बताये हैं। जिनको यदि जीवन में उतरा जाये तो आपका जीवन सफल हो जायेगा।

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आचार्य चाणक्य कहते हैं की सभी को यज्ञ एवं हवन करना चाहिए। क्योंकि यह हमारी सनातन संस्कृति है। लेकिन ऐसा करने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी होता है।

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यज्ञ, हवन करने से वायुमंडल स्वच्छ होता है। हमारे वायुमंडल में कई प्रकार की दूषित हवाएं होती हैं। यज्ञ करने से वह दूषित हवाएं नष्ट हो जाती हैं। और हमारा वायुमंडल स्वच्छ होता है।

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यज्ञ और हवन करने से पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। जब पर्यावरण शुद्ध होगा तो हमारा स्वास्थ्य भी शुद्ध होगा।

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियों के लिए उसका पति गुरु के समान होता है। क्योंकि वह अपनी पत्नी का भरण पोषण करता है। इसके साथ ही वह अपनी पत्नी को सन्मार्ग पर चलने में सहायता करता है।

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घर पर आए हुए अतिथि का सभी को सम्मान करना चाहिए। क्योंकि अतिथि आपके घर थोड़ी देर के लिए आता है। अतः अतिथि को देवता के समान मानकर उसकी सेवा करनी चाहिए।

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अतिथि के रूप में देवता को इसलिए भी देखना चाहिए क्योंकि स्वयं ईश्वर भी आपके घर अतिथि बनकर आ सकते हैं। अतः हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की अतिथि देवो भवः अर्थात अतिथि ही ईश्वर है।  

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धर्म की रक्षा के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। धर्म का कार्य कर्म और धन दोनों के द्वारा ही संपन्न हो पाते हैं। दान करना, मंदिर बनवाना दूसरों पर उपकार करना। यह सभी धर्म के कार्य होते हैं। इन सभी कार्यों में धन की आवश्यकता होती है।

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किसी विद्वान व्यक्ति के ज्ञान की निंदा करने वाले लोग, धीर गंभीर और शांत स्वभाव के लोगों को पाखंडी बताने वाले लोग, शास्त्र आचरण के विरुद्ध में कार्य करने वाले लोग हमेशा ही दुख भोगते हैं।

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