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बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?
स्कंद्पुराण की कथा के अनुसार माता पार्वती के पसीने की बूँद से बिल्ववृक्ष (बेल के वृक्ष ) की उत्पत्ति हुई।
स्कंद्पुराण की कथा के अनुसार एक बार माँ गंगा जी, माता लक्ष्मी जी ने भगवान शिव जी से मानव कल्याण करने के लिए वरदान मांगने की इच्छा प्रकट की। माता गंगा जी ने भगवान् शिव जी से कहा कि हे प्रभु मेरे जल के स्पर्श मात्र से लोगों के मुक्ति प्राप्त हो जाती है। प्रभु कुछ ऐसा वरदान दीजिये कि मेरा जल पीने से सभी रोग मुक्त हो जाएँ। इसके बाद माता लक्ष्मी जी ने कहा की हे प्रभु मुझे ऐसा वरदान दीजिये कि मैं जिस घर में जाऊ उस घर की गरीबी दूर हो जाये।
इस पर भगवान भोलेनाथ ने माँ गंगा जी से कहा की आप जाकर गौ मूत्र में विराजमान हो जाओ। और माता लक्ष्मी जी से कहा कि आप गौ माता के गोबर में जाकर विराजमान हो जाओ। तभी वहां गौ माता आती हैं। माता गंगा और माता लक्ष्मी जी ने गौ माता से उनके शरीर में स्थान माँगा। इस पर गौ माता ने अपने शरीर में उन्हें स्थान दे दिया। तभी से गौ माता का गौमूत्र औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है, और गाय के गोबर को माता लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है।
बेलपत्र की उत्पत्ति की कथा
वही माता पार्वती जी भी विद्यमान थी। उन्होंने भगवान शिव जी से प्रार्थना की कि हे प्रभु मुझे भी एक वरदान ऐसा दीजिये की मैं किसी भी कन्या को अच्छा घर और अच्छा वर दे पाऊं। इतने में गौ माता ने माता पार्वती को प्यार से चाटा तो माता पार्वती की पसीने की बूँद गौमाता के शरीर में चली गयी जिसके बाद गौ माता ने गोबर किया। जिस जगह गोबर गिरा वही एक विशाल वृक्ष की उत्पत्ति हुई। जिसका नाम शिव जी ने विल्ववृक्ष (बेल ) दिया। शिव जी ने कहा कि यह बेल का वृक्ष आज से तुम्हारा ( माता पार्वती) का प्रतीक होगा। जो भी कन्या इसकी पत्तियां तोड़कर मुझ पर चढाएगी उसे अच्छा घर और अच्छा वर प्राप्त होगा।
शिवलिंग पर बेलपत्र कैसे चढ़ायें
बेलपत्र शिव जी को अति प्रिय है। जब भी आप शिव जी की पूजा करने जाएं तो उनको बेलपत्र अर्पित करने का प्रयास ज़रूर करें। वैसे तो 11, 21, 51 या अपनी आयु के बराबर बेलपत्र चढ़ाने के लिए कहा जाता है। लेकिन भगवान भोलेनाथ मात्र एक बेलपत्र और एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते है। पूजा करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि बेलपत्र कहीं से कटी हुई न हो। हमेशा तीन पत्तियों वाली बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र की चिकनी सतह शिवलिंग को स्पर्श कराना चाहिए।
जब शिव जी को आप बेलपत्र चढ़ाएं तब आपको अपनी मध्यमा(तीसरी उंगली), अनामिका(दूसरी उंगली) और अंगूठे से ही बेलपत्र को पकड़ना चाहिए। याद रखें अपनी तर्जनी (पहली उंगली) से कभी भी बेलपत्र को स्पर्श न करें। किसी भी पूजा में तर्जनी उंगली का स्पर्श शुभ नहीं माना जाता है।
कभी भी ऐसी बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ानी चाहिए जिसमें बेलपत्र की किसी पत्ती में यदि कोई चक्र (कोई उभरा हुआ चिन्ह) बना हुआ हो। इसके अलावा यदि किसी बेलपत्र की डंडी के नोक पर गदा (ठूठ) है तो उसे भी शिवजी को समर्पित नहीं करनी चाहिए।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे
च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम्।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥
शिवजी पर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है ?
समुद्र मंथन से निकलने वाले विष को भगवान भोलेनाथ ने मानव कल्याण के लिए स्वयं अपने कंठ में धारण किया था। जिसके कारण उनका शरीर बहुत ही गर्म हो गया था। केवल उनका शरीर ही नहीं बल्कि आस पास का वातावरण भी अत्यधिक गर्म हो गया था। जिसके बाद देवताओं ने इसका हल इस प्रकार निकाला कि भगवान शिव जी को बेलपत्र खिलाना प्रारम्भ किया गया। क्योंकि यह शीतल प्रभाव का होता है। धीरे-धीरे भगवान भोलेनाथ को शीतलता प्राप्त हुई। तभी से भगवान शिव जी को बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा।
इस संदर्भ में एक और कथा है कि एक बार माता पार्वती जी शिव पूजा के लिए वन में गयीं जहां भगवान भोलेनाथ एक बेल वृक्ष के नीचे तपस्या में लीन थे। माता पार्वती ने अपनी सामग्री में फूल लाना भूल गई थी। तभी उन्होंने उसे बेल वृक्ष की जमीन पर गिरी हुई बेल पत्रों को उठाकर शिवजी पर चढ़ना शुरू किया और शिव जी को पूर्ण रूप से बेलपत्र से ढक दिया। इस पर शिवाजी अति प्रसन्न हुए। तभी भगवान शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा।
बेलपत्र को अगर ध्यान से देखें तो इसमें अधितर तीन पत्तियां ऐसे होती हैं जैसे यह शिवजी के तीन नेत्रों की तरह प्रतीत होता है। बेलपत्र शिवजी के त्रिशूल का प्रतीक भी माना जाता है। अतः शिव जी को बिना दाग धब्बे की और बिना कतई फटी तथा हरी बेलपत्र ही चढाया जाता है।
शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने का फल
आचार्यों और पुरोहित बताते हैं कि भगवान शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी और भगवान राम जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिवलिंग पर प्रतिदिन बेलपत्र चढ़ाने से दरिद्रता का नाश होता है। ऐसा करने से दुःख, दरिद्रता, और गरीबी दूर होती है तथा मन को शांति प्राप्त होती है। सावन माह के सोमवार के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से 1 करोड़ कन्यादान के बराबर फल प्राप्त होता है एवं सौभाग्य उदय होता है।
भगवान शिवजी को श्री राम का नाम अत्यधिक प्रिय है। अतः ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र पर भगवान श्रीराम का नाम लिखकर शिवजी को अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनको लंबी आयु का फल प्रदान करते हैं।
प्रदीप मिश्रा के बेलपत्र के उपाय :
शिवपुराण कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी अपनी कथा में अक्सर शिव पुराण में बताये गए बेलपत्र से जुड़े उपाय बताते हैं। जिनको करने से कई लोगों को लाभ होता है। ऐसा लोग पंडित जी को पत्र लिखकर भी बताते हैं। उनके पत्र अक्सर पंडित जी अपनी कथा के बीच में लोगों को पढ़कर सुनाते हैं। आइये जानते हैं शिवपुराण कथा में बताये गए प्रदीप मिश्रा के बेलपत्र के उपाय।
पंडित प्रदीप मिश्रा जी बताते हैं कि जब भी आप भगवान शिव जी की पूजा करने जाएँ तो उनपर बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं चाहे एक ही चढ़ाएं। अगर संभव न हो पाए तो शिवलिंग के ऊपर चढ़ी हुई बेलपत्र को दुबारा धोकर ही चढ़ा सकते हैं। इसके बाद आप उस चढ़ी हुई बेलपत्र को प्रसाद के रूप में खा लीजिये। प्रतिदिन ऐसा करने से शरीर रोगमुक्त रहता है।
इसके अलावा आप मंदिर से बेलपत्र लाकर उसे सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर उसे भी प्रति दिन गुन्गुने पानी में मिलकर ले सकते हैं। बेलपत्र का नियमित सेवन आपको कई रोगों से मुक्त रखेगा।
प्रदीप मिश्र जी अपनी कथा में बताते हैं कि किसी विषम परिस्थिति के कारण यदि मन व्याकुल हो तो एक बेलपत्र और एक लोटा जल लेकर शिव जी के मंदिर जाएँ और सबसे पहले बेलपत्र को शिवलिंग के अशोकसुन्दरी वाले स्थान पर चढ़ाएं तथा उस पर जल चढ़ाएं। फिर इसके बाद वही बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मन की व्याकुलता शांत होती है।
प्रदीप मिश्र जी अपनी कथा में बताते हैं कि बेलवृक्ष के नीचे चावल, या मूंग का दाना बेलवृक्ष के नीचे पड़े किसी भी कंकर को शिवलिंग मान कर चढाने से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है।
बेलपत्र की बीच वाली पत्ती पर पीला चन्दन और बाकी दोनों पत्तियों पर लाल चन्दन लगाकर भगवान भोलेनाथ का सच्चे ह्रदय से स्मरण करके शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव जी आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
प्रदीप मिश्र जी अपनी कथा में बताते हैं कि अगर आपको लगता है की मेरे बच्चे ने पढाई नहीं की है और आपका बच्चा परीक्षा देने जा रहा है, तो जाने से पहले अपने बच्चे से बेलपत्र की बीच वाली पत्ती पर शहद लगवाकर उसे शिवलिंग पर चिपकवा दीजिये। उस विषय में आपका बच्चा ज़रूर उत्तीर्ण (पास) हो जायेगा। चाहे उसने साल भर पढाई न की हो।
प्रदीप मिश्र जी अपनी कथा में बताते हैं कि आपने कितनी ही बड़ी कोई गलती की है तो भगवान शंकर के शिवलिंग पर एक बेलपत्र की डंडी को जहाँ आप बैठे हैं उससे पीछे की ओर करके अर्पित करने से भगवान शिव जी आपकी गलती को क्षमा कर देते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए प्रदीप मिश्र जी बताते हैं कि जिस नारी के गर्भ नहीं ठहर रहा है। बार बार गर्भ गिर जा रहा है। सारे उपाय करने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा है। तो उस नारी को शिव महापुराण में बताया गया यह उपाय करना चाहिए। सोमवार के दिन बेलपत्र के वृक्ष के नीचे किसी ब्राम्हण और ब्रम्हाणी और उसके पुत्र को बैठाकर खीर खिलाना चाहिए। तथा बची हुई खीर की जूठन को उस नारी को खिला देना चाहिए। शिव महापुराण की कथा कहती है कि चार से पांच माह में उस नारी को गर्भ ठहर जायेगा।
बेलपत्र की जड़ के उपाय
प्रदीप मिश्र जी बेलपत्र के उपायों के साथ बेलवृक्ष की जड़ के उपाय भी बताते हैं। जिनको करने से आपको जीवन में लाभ मिलता है। आइये जानते हैं बेलपत्र की जड़ के उपाय।
शिवपुराण की कथा के अनुसार जब लक्ष्मी जी का विवाह श्री विष्णु जी के साथ शिव जी ने कराया तब शिव जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आपका विवाह मैंने भगवान नारायण जी से कराया है आप सदा विष्णु जी की सेवा में उनके चरणों में रहेंगी ही लेकिन प्रतिदिन संध्या के समय आप बेलवृक्ष के नीचे भगवान विष्णु जी की अराधना करेंगी। अतः जो भी संध्या के समय बेलवृक्ष की जड़ के पास एक धी का दिया (दीपक) जलाएगा। उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहेगी। वह व्यक्ति सदा क़र्ज़ से मुक्त रहेगा।
यदि कोई व्यक्ति व्यापार में लगातार असफल हो रहा है। उसका कोई काम नहीं बन रहा है। चारों तरफ से क़र्ज़ में डूबता जा रहा है। ऐसे में यदि बेल वृक्ष की जड़ को घिसकर निकाला गया चन्दन को भगवान शिव जी का नाम लेकर शिवलिंग पर लगाने से व्यक्ति व्यापार में सफल होता है। वह क़र्ज़ से मुक्त हो जाता है।
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