भद्राक्ष क्या होता है, रुद्राक्ष और भद्राक्ष, रुद्राक्ष और भद्राक्ष में अंतर, भद्राक्ष की पहचान, भद्राक्ष कैसा दिखता है, भद्राक्ष के प्रकार, भद्राक्ष कहाँ होता है, भद्राक्ष के उपयोग, भद्राक्ष और रुद्राक्ष के उपयोग, भद्राक्ष फल, भद्राक्ष का अर्थ आदि से जुडी सभी जानकारी पाने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
भद्राक्ष क्या होता है?
अक्सर लोग रुद्राक्ष और भद्राक्ष की पहचान नहीं कर पाते हैं क्योंकि दोनो ही आमतौर पर देखने में एक जैसे ही होते हैं। इसलिए बिना दोनो के बारे में जाने हम इनकी पहचान नहीं कर सकते। रुद्राक्ष एक प्रकार के फल का बीज होता है। किंतु अध्यात्मिक कार्यो में इसका अत्यधिक महत्व माना जाता है। जबकि भद्राक्ष एक फल के रूप में पेड़ पर होता है।
रूद्राक्ष (रुद्र और अक्ष) दो संस्कृत शब्दो से मिलकर बना है जिसमे रुद्र(शिव के नामों में से एक नाम) का अर्थ भगवान शिव से है तथा अक्ष का अर्थ अश्रु की बूंदों से है। रुद्राक्ष 1 से 21 मुखी तक होते हैं। जबकि भद्राक्ष 9 प्रकार के होते हैं। ज्यादातर 1 मुखी भद्राक्ष का प्रयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओ से हुई है इसीलिए रुद्राक्ष को शिवजी का अंश भी माना गया है। यही कारण है कि पूजा पाठ, जाप जैसे धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग किया जाता हैं। रूद्राक्ष की माला का प्रयोग हम लोग मंत्र जाप करने के लिए करते हैं इतना ही नहीं रुद्राक्ष को हम आभूषण की तरह भी प्रयोग करते हैं।
वहीं भद्राक्ष भी एक प्रकार का रुद्राक्ष ही होता है किंतु शास्त्रों में इसे रुद्राक्ष से निम्न कोटि का समझा गया है साथ ही भद्राक्ष को नाकारत्मक शक्तियों का प्रतीक माना गया है। जबकि पौराणिक शास्त्रों में रुद्राक्ष को ईश्वरीय शक्तियों से जोड़ा गया हैl भद्राक्ष का उपयोग सिर्फ आभूषणों में ही किया जाता है नकारात्मक प्रवृत्ति के कारण पूजा पाठ के कार्यों में इसे शामिल नहीं किया जाता।
भद्राक्ष कैसा दिखता है?
वैसे तो देखा जाए तो भद्राक्ष भी रूद्राक्ष का ही एक रूप होता है लेकिन शास्त्रों में इसे रुद्राक्ष की तुलना में निम्न कोटि का माना जाता है। देखने में ये रुद्राक्ष की तुलना में कम स्पष्ट होता है और आकार में भी अंडाकार होता है। छूने पर यह रुद्राक्ष की अपेक्षा कम ऊभरा और कठोर प्रतीत होता हैl भद्राक्ष में प्राकृतिक छिद्र नहीं होते हैं बाजार में रुद्राक्ष के स्थान पर इसे बेचने और रुद्राक्ष की तरह दिखाने के लिए इसमें छिद्र बनाए जाते हैं।
भद्राक्ष के प्रकार
जिस प्रकार रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं उसी प्रकार भद्राक्ष भी 9 प्रकार के होते हैं। ऐसा मन जाता है की भद्राक्ष निम्न कोटि के होते हैं। परन्तु कुछ भद्राक्ष हमारे जीवन में सफलता, खुशियाँ लाते हैं। किसी विशेषज्ञ से इसके बारे में जानकारी लेने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए।
- एक मुखी भद्राक्ष :
यह भद्राक्ष आकार में अर्ध चंद्रकार होता है। इसको धारण करने से ख़ुशी, ज्ञान, समृध्धि और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है। सभी भद्राक्ष में यह एक मुखी भद्राक्ष अत्यधिक धारण किया जाता है।
- द्विमुखी भद्राक्ष :
यह भद्राक्ष आकार में अर्ध चंद्रकार होता है। इसको धारण करने से आत्मविश्वास, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह भद्राक्ष प्रेमी जोड़ों के लिए भी लाभदायक होता है। इस भद्राक्ष पर माता पारवती और भगवान शिव का आशीर्वाद होता है।
- विशेष द्विमुखी भद्राक्ष :
यह भद्राक्ष आकार में अंडाकार होता है। इसको धारण करने से मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, निडरता और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- त्रिमुखी भद्राक्ष
यह भद्राक्ष आकार में अंडाकार होता है। यह भद्राक्ष त्रिदेव भगवान ब्रम्हा, विष्णु, और शिव जी की त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस भद्राक्ष को धारण करने से मंगल दोष का निवारण होता है। इसके साथ ही यह भद्राक्ष धारण करने वाले का आत्मविश्वास प्रबल करता है।
- त्रिनयनी भद्राक्ष
यह भद्राक्ष भगवान शिव जी की तीसरी आँख को प्रदर्शित करता है। इस भद्राक्ष को धारण करने वाले को बेहतर स्वास्थ्य, समृद्धि प्राप्त होती है। यह भद्राक्ष भी अन्ड़ेकार आकृति का होता है।
- द्विभुजी भद्राक्ष
यह भद्राक्ष आकार में गोल होता है। इसे पहनने वाले को भगवान लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त होती है और मन स्थिर रहता है।
- नाग भद्राक्ष
यह गोलाकार भद्राक्ष नागराज का प्रतीक होता है। काल-सर्प दोष एवं नाग दोष होने पर इसे धारण करना चाहिए। इसे सुख समृद्धि और जीवन के सुधार के लिए पहना जाता है।
- चतुर्मुखी भद्राक्ष
यह भद्राक्ष आकार में गोल होता है। इस भद्राक्ष के 4 मुख होते हैं। इसे धारण करने वाले को चारो दिशों से प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
- संमुखी भद्राक्ष
यह भद्राक्ष गोलाकार होता है। सबसे दुर्लभ भाद्रक्षों में यह सन्मुखी भद्राक्ष होता है। यह जल्दी प्राप्त नहीं होता है। लेकिन इसे धारण करने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस भद्राक्ष पर सभी देवताओं का आशीर्वाद होता है। इसकी पूजा करने वाले को सब कुछ प्राप्त हो सकता है।
भद्राक्ष की पहचान क्या है ?
रुद्राक्ष मूल्यवान है और लोगो द्वारा इसकी डिमांड भी अधिक की जाती है इसके चलते ही मार्केट में नकली रुद्राक्ष को उच्च दामों में बेचा जाता है जिनमे भद्राक्ष भी शामिल है।
- देखने में तो भद्राक्ष हूबहू रुद्राक्ष की तरह ही होता है किन्तु इसका आकर गोल न होकर अंडाकार आकृति में होता हैl
- भद्राक्ष के बीच में आर पार छिद्र नहीं होता l
- वजन में भी यह हल्का और कम उभरा हुआ होता है।
- भद्राक्ष और रुद्राक्ष दोनों के वृक्ष देखने पर एक जैसे ही प्रतीत होते हैं लेकिन रुद्राक्ष फल का बीज होता है जो फल को तोड़ने के बाद प्राप्त किया जाता है जबकि भद्राक्ष स्वयं फल होता है जो सूखने पर भद्राक्ष का रूप धारण करता हैl
- भद्राक्ष का वजन हल्का होने के कारण यह पानी में तुरन्त नहीं डूबता l
- रुद्राक्ष की अपेक्षा भद्राक्ष की कठोरता कम होती है और देखने में भी यह कम स्पष्ट होता हैl
- वैज्ञानिक तकनीक से भद्राक्ष और रुद्राक्ष की पहचान लैब टेस्टिंग द्वारा की जाती हैl एक्स-रे, सी टी स्कैन के जरिए इसका पता लगाया जाता हैl
रुद्राक्ष और भद्राक्ष की लैब टेस्टिंग
लैब में भद्राक्ष या नकली रुद्राक्ष की पहचान मैग्निफिकेशन लेंस, सूक्ष्मदर्शी को मदद से किया जाता है। लैब टेस्टिंग में मैग्निफिकेशन को 10 से 40 गुना तक बड़ा करके रुद्राक्ष की परतों को जांचा जाता है। जांच में पार्टी पर किसी भी प्रकार की खरोंच, ब्लेड के निशान, दो नकली रुद्राक्ष का एक साथ जुड़ा होना या अन्य किसी भी तरह को दशा दिखने पर उसमे असली या नकली का भेद लिया जाता है। इसी प्रकार से भद्राक्ष को मैग्निफाई लेंस की मदद से उसकी आकृति और आकार के अनुसार जांचा जाता है।
रुद्राक्ष और भद्राक्ष में अंतर क्या है?
ठीक तरह से रुद्राक्ष या भद्राक्ष की पहचान न होने के कारण लोग कई बार नकली रुद्राक्ष या भद्राक्ष भी खरीद लेते हैं। इसका मुख्य कारण है असली और नकली का अंतर न पता होना है, इस लेख के माध्यम से हम आपको रुद्राक्ष और भद्राक्ष के अंतर के बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं इनके बीच का अंतर –
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष को धारण करने योग्य समझा गया है और इसे धारण करने के साथ साथ कुछ नियमो का पालन भी करना पड़ता है जबकि भद्राक्ष को धारण करने योग्य नहीं समझा जाता हैl
दरअसल रूद्राक्ष और भद्राक्ष दोनो के पेड़ देखने में तो समान होते हैं लेकिन रुद्राक्ष के बीज और फल गोल होते हैं। जबकि भद्राक्ष का आकर अंडाकार रूप में होता है।
भद्राक्ष के फल में प्राकृतिक छिद्र नहीं होते हैं जबकि रुद्राक्ष के बीजों में बेलनाकार प्राकृतिक छिद्र होता है।
रूद्राक्ष की तुलना में भद्राक्ष भार में हल्का होता है।
रुद्राक्ष एक बीज होता है जो अधिक कठोर होता है जबकि इसकी अपेक्षा में भद्राक्ष की कठोरता कम होती हैl
रुद्राक्ष का उपयोग मंत्र जाप और आभूषणों में किया जाता है लेकिन भद्राक्ष का उपयोग सिर्फ आभूषणों में किया जाता है।
रूद्राक्ष भारत और नेपाल दोनो देशों में पाया जाता है जबकि भद्राक्ष सिर्फ भारत में ही पाया जाता है।
रुद्राक्ष को पानी में डालने पर वह डूब जाता है लेकिन भद्राक्ष तुरंत नहीं डूबता, तैरता रहता है।
रूद्राक्ष देखने में स्पष्ट और उभरा हुआ होता है जबकि भद्राक्ष पतला और कम उभरा हुआ होता है।
भद्राक्ष एक प्रकार का विषैला फल होता है।
रुद्राक्ष का बीज तेल, घी आदि के अभिसंचन से दिन पर दिन अत्यधिक कठोर होता जाता है जबकि भद्राक्ष तेल, जल आदि के अभिसंचन से धीरे धीरे खराब होने लगता है, सड़ने लगता हैl
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भद्राक्ष क्या होता है?
भद्राक्ष रूद्राक्ष का ही एक दूसरा रूप होता है लेकिन ज्योतिष शास्त्रों में इसे निम्न कोटि का माना जाता है। देखने में तो भद्राक्ष हूबहू रुद्राक्ष की तरह ही होता है। लेकिन रुद्राक्ष फल का बीज होता है जो फल को तोड़ने के बाद प्राप्त किया जाता है जबकि भद्राक्ष स्वयं फल होता है जो सूखने पर भद्राक्ष का रूप धारण करता हैl रूद्राक्ष देखने में स्पष्ट और उभरा हुआ होता है जबकि भद्राक्ष पतला और कम उभरा हुआ होता है।