चाणक्य नीति

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आचार्य चाणक्य ने जीवन जीने के कुछ ऐसे सूत्र बताये हैं। जिनको यदि जीवन में उतरा जाये तो आपका  जीवन सफल हो जायेगा।

चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को अपने दिन का प्रारम्भ किसी श्लोक या मंत्र से करना चाहिए। अर्थात हर दिन हमें वेदों या मन्त्रों का पाठ करते हुए ज्ञान अर्जित करते रहना चाहिए।

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अपने दिन को ऐसे ही व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। ज्ञानी मनुष्य का सम्मान हर जगह होता है। ज्ञान के बिना मनुष्य की स्थिति मृतक के सामान होती है।

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स्वयं के साथ साथ दूसरों को भी ज्ञान बाटना चाहिए। क्योकि ज्ञान का प्रसार करने से वह और भी विस्तृत होता है। व्यक्ति को अपने परिवार और अपने बच्चो को भी ज्ञान अवश्य देना चाहिए।

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आचार्य चाणक्य कहते है की व्यक्ति को हर दिन में एक वेदमंत्र का चिंतन, मनन तो करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर सकता है तो आधे मंत्र का जाप करना चाहिए।

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अगर आधे मंत्र का भी जाप नहीं कर सकता है तो फिर कम से कम किसी मंत्र के एक अक्षर का ही जाप करना चाहिए। लेकिन दिन में ऐसा करना ज़रूर चाहिए।

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मनुष्य का जन्म बहुत ही भाग्य से प्राप्त होता है। इसे ऐसे ही व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। दिन प्रतिदिन वेदाध्यन और ज्ञान प्राप्ति में लगाना चाहिए।

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चाणक्य कहते हैं की वे सभी माता-पिता अपने बच्चों के शत्रु के समान होते हैं जो उनको जीवन में ज्ञान नहीं देते या पढ़ाते नहीं है। अतः अपने बच्चों को पढ़ना अति आवश्यक है।       

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अनपढ़ बच्चे विद्वानों के समूह में शोभा नहीं देते हैं। जिन बच्चों को ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। वे समाज में हीन भावना से देखे जाते हैं। ऐसे बच्चे अपने जीवन में सफल नहीं होते है।           

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