आचार्य चाणक्य ने जीवन जीने के कुछ ऐसे सूत्र बताये हैं। जिनको यदि जीवन में उतरा जाये तो आपका जीवन सफल हो जायेगा।
चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य कहते हैं की इंसान को अपने स्वाभाव के विपरीत कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। चाहे जैसी भी परिस्थितियां हो।
चाणक्य नीति
पुराणों में मानव को सत्य का पालन करने के लिए कहा गया है। और यही उसका स्वभाव भी होना चाहिए।
चाणक्य नीति
शेर चाहे जितना भी भूँखा क्यों न हो। परन्तु वह घास या शाकाहार नहीं खायेगा। क्योंकि शेर का स्वभाव ऐसा ही होता है।
चाणक्य नीति
स्वयं के ऊपर नियंत्रण रखने वाले और ज्ञान और नीतियों को समझने वाले व्यक्ति को ही सम्पन्नता प्राप्त होती है।
चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि राजा संपन्न होगा तभी प्रजा संपन्न होगी। क्योकि किसी भी देश की सम्पन्नता उसे राजा से पूरी होती है।
चाणक्य नीति
राजा की सम्पन्नता उसकी प्रजा पर निर्भर होती है। और प्रजा की सम्पन्नता उस देश के राजा से होती है। इस प्रकार दोनों ही एक दूसरे पर आश्रित होते हैं।
चाणक्य नीति
आज के आधुनिक समय में भी यह लागू होता है। अगर देश का नागरिक स्वयं से देश की उन्नति के लिए कार्य करता है। तो उस देश के राजा की उन्नति होती है।
चाणक्य नीति
इसी प्रकार किसी भी देश के राजा को अपने देश के नागरिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनकी भरपूर सहायता करनी चाहिए। जिससे की देश की उन्नति के पथ पर चलना आसान हो सके।
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