चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

प्रेम व्यवहार बराबरी वाले व्यक्तियों में ही ठीक रहता है।

चाणक्य कहते हैं की प्रेम व्यवहार, रिश्ते नाते हमेशा बराबरी वाले लोगों से ही जोड़ना चाहिए।

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अगर ऐसा नहीं करते हैं तो असमानता वाले लोगों के बीच प्रेम संबंध ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाते हैं।

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ऐसा करने पर मित्रता या संबंध कभी भी शत्रुता में बदल सकते हैं और ऐसा होने पर आपका मित्र शत्रु बन सकता है और आपको हानि पहुंचा सकता है।

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यदि नौकरी करनी है तो राजा की करो अन्यथा व्यापार करो।

चाणक्य कहते हैं की मनुष्य को यदि नौकरी करनी ही हो तो राजा की नौकरी करनी चाहिए।

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यहां पर राजा की नौकरी से अर्थ है कि मनुष्य को सरकारी नौकरी ही करनी चाहिए क्योंकि सरकारी नौकरी में निर्दिष्ट नियमों से संचालित आदेश का पालन सभी को करना पड़ता है

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बल्कि किसी और की नौकरी करने पर उसे  अपने आत्मसम्मान के विरुद्ध कार्य करना पड़ सकता है। इसके अलावा अगर मनुष्य को सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती है तो उसे अपना व्यवसाय करना चाहिए।

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श्रेष्ठ गुणों वाली स्त्री से घर की शोभा होती है।  गुणयुक्त स्त्री से घर की शोभा होती है और घर में अपनी मर्यादाओं और कर्तव्यों का पालन करते हुए स्त्री भी अपने सद्गुणों की रक्षा कर सकती है।

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मनुष्य को अपना धन खर्च करके भी स्त्रियों की रक्षा करनी चाहिए। परंतु दुष्ट स्त्री के साथ रहने पर या उसका पालन पोषण करने पर मनुष्य को दुख ही प्राप्त होता है।

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