चाणक्य नीति के अनुसार ऐसी कौन सी जगह है जहां पर किसी भी इंसान को नहीं रहना चाहिए।
चाणक्य नीति
चाणक्य कहते हैं कि जिस देश में आपका आदर सम्मान न हो, ऐसे देश में नहीं रहना चाहिए। अन्यथा आपको कदम कदम पर तिरस्कार ही प्राप्त होगा। जिस देश के लोग आपका सम्मान ना करते हो वहां पर रहना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
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चाणक्य कहते हैं कि जिस देश में आपके लिए आजीविका का साधन ना हो ऐसे देश में रहना ठीक नहीं होता है। जीवन जीने के लिए रोजगार का साधन होना अति आवश्यक है।
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इसी प्रकार जिस देश में आपका कोई रिश्तेदार ना हो ऐसे देश में कभी भी निवास नहीं करना चाहिए। आपके बुरे समय में आपके माता पिता, रिश्तेदार, भाई बंधु या मित्र ही काम आते हैं।
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चाणक्य ने बताया है कि जहां पर किसी प्रकार की विद्या और गुणों की प्राप्ति की संभावना ना हो अर्थात जिस देश में रहकर आप कुछ सीख नहीं सकते उस देश को या उस जगह को बिल्कुल भी छोड़ देना चाहिए।
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चाणक्य के अनुसार जहां पर वेदों को जानने वाले ब्राह्मण ना हो उस जगह को त्याग देना चाहिए। ब्राह्मण धर्म की रक्षा के लिए निरंतर प्रयत्न करते हैं और उनके सानिध्य में रहकर आप धर्म को जान सकते हैं।
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इसी प्रकार जहां पर धनिक अर्थात धनवान लोग नहीं है वहां पर कभी भी नहीं रहना चाहिए। धनवान लोगों के पास रहने से व्यापार में वृद्धि होती है।
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इसी प्रकार जहां पर कोई राजा ना हो उस जगह कभी निवास नहीं करना चाहिए क्योंकि राजा ही है जो वहां की शासन व्यवस्था को स्थिर बनाए रखता है।
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चाणक्य कहते हैं जहां पर कोई नदी ना हो अर्थात जल का कोई साधन ना हो उस स्थान पर कभी निवास नहीं करना चाहिए। क्योंकि जल ही जीवन है । नदी के होने से खेतों में सिंचाई करना आसान हो जाता है । खेतों में सिंचाई नहीं होगी तो अन्य प्राप्त नहीं हो सकता है।
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इसी प्रकार जिस स्थान पर कोई वैद्य ना हो उस स्थान को तुरंत त्याग देना चाहिए क्योंकि रोगों से छुटकारा पाने के लिए आपको एक वैद्य की आवश्यकता जरूर पड़ेगी।
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