कम्बोडियन और थाई रामायण संस्करण के अनुसार रावण की बेटी स्वर्णमछा ने अपने पिता रावण के कहने पर राम सेतु को गुप्त रूप से तोड़ने के लिए कहा 

इसके बाद वानरों द्वारा बनाये जा रहे रामसेतु में लगे पत्थरों को स्वर्णमछा समुद्र में जाकर चुराने लगी. 

जब हनुमान जी को इस बात का पता चला तो हनुमान जी ने स्वर्णमछा को रोकने के लिए उसको रामसेतु बनाने के पीछे की पूरी घटना का वर्णन किया. 

हनुमान जी के इस स्वभाव और उनके रूप को देखकर स्वर्णमछा उनपर मोहित हो गयी और रामसेतु से चुराए सभी पत्थरों को वापस रामसेतु में लगा दिया. 

श्री राम जी के परम भक्त महाबली हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान माता सीता ने दिया था. 

वायु पुराण और ब्रम्हांड पुराण के अनुसार नौ निधियां (पद्म, महापद्म, नील, मुकुंद, नन्द, मकर, कच्छप, शंख, मिश्र/खर्व) और अष्ट सिद्धियां (अणिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वशित्व) हैं. 

यह अष्ट सिद्धियाँ दुनिया में सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है. यह सभी सिद्धियाँ केवल हनुमान जी के पास है एवं इनको संभालने की शक्ति भी केवल महाबली संकट मोचन हनुमान जी के पास हैं. 

जब रामसेतु के निर्माण से पहले भगवान राम ने रेत से महादेव की स्थापना तब हनुमान जी ने भी एक शिवलिंग का निर्माण किया था 

और हनुमान जी चाहते थे कि उनका बनाया हुआ शिवलिंग की ही पूजा की जाए तब भगवान राम ने हनुमान जी का मान मर्दन करते हुए यह कहा कि 

ठीक है मेरे बनाये हुए शिवलिंग को हटा कर अपने बनाये हुए शिवलिंग को रख दो तो उनकी ही पूजा हो जाएगी।  

इसके बाद हनुमान जी ने रेत से बने श्री राम जी के शिवलिंग को हटाने की बहुत कोशिश की परंतु वे उस शिवलिंग को हिला भी नहीं पाए। इस प्रकार हनुमान जी का अहंकार टूट गया।  

उस शिवलिंग को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। लेकिन रामेश्वरम में हनुमान जी के बनाये हुए शिवलिंग की भी पूजा की जाती है।