शहद का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। आयुर्वेद में शहद को एक औषधि के रूप में दर्जा दिया गया है। शहद को मधुमक्खियों के द्वारा फूलों के रस से बनाया जाता है। इसे मधुमक्खियों द्वारा लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया जाता है। पूरी दुनिया मे शहद का इस्तेमाल मिठास के लिए भी किया जाता है। शहद हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। इसका उपयोग किसी भी रूप में हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हालांकि शहद का सेवन करने से पहले हमें यह जांच लेना चाहिए कि शहद असली है या मिलावटी क्योंकि मिलावटी शहद खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। शहद की गुणवत्ता को लेकर लोग असमंजस में रहते है।
शहद के गुण
शहद में पोषक तत्व ,खनिज और विटामिन का भंडार पाया जाता है। शहद में ग्लूकोज, फ्रक्टोज, कैल्सियम, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशयम के गुण पाए जाते है। इसके अलावा इसमें काबैहाइड्रेट,विटामिन B-6 विटामिन C भी पाया जाता है।
शहद खाने के फायदे
- शहद का इस्तेमाल खांसी आने पर किया जाता है क्योंकि इसमें antibacterial गुण मौजूद होते हैं जो संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं।
- शहद का उपयोग वजन कम करने के लिए भी किया जाता है। शहद वजन को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। यह हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम करता है।
- शहद हमारी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। त्वचा में निखार लाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जिन लोगों की त्वचा रूखी होती है उन लोगों को शहद का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे उनकी त्वचा नम रहे ।
- शहद हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मे सहायक होता है। शहद में एंटीआक्सीडेंट बहुत अधिक मात्रा में होता है जो दिल की कई बीमारीयों से बचाव करने में सहायक होता है।
- एसीडिटी के कारण लोगों को उल्टी और खट्टी डकार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । इस समस्या के लिए हम शहद का इस्तेमाल कर सकते है क्योंकि शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते है।
शहद खाने के नुक्सान
जिन लोगों को पराग कणों से एलर्जी होती है उन्हें शहद का सेवन नहीं करना चाहिए । भोजन में शहद की अधिक मात्रा से एलर्जिक रियक्शन हो सकता है ।
शहद का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में दर्द और पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि शहद में फ्रक्टोज पाया जाता है जो अवशोषित करने की क्षमता को कम करता है ।
शहद को अधिक गर्म पानी में डालकर नहीं पीना चाहिए । शहद को पानी में डालकर नहीं उबालना चाहिए क्योंकि यह विरूद्ध आहार की श्रेणी में आता है ।
1 साल से कम उम्र के बच्चों को न खिलाए
शहद को एक साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि उनमें बोटुलिज्म का खतरा पैदा हो सकता है ।
असली और नकली शहद पहचान करने का तरीका
1- एक गिलास में पानी ले और उसमें शहद डाल दीजिए। अगर शहद असली हुआ तो नीचे की सतह पर जम जाएगा और अगर नकली हुआ तो पानी में घुल जाएगा।
2- सर्दी के मौसम अगर शहद जम जाए तो वह असली शहद होगा जबकि नकली शहद हर मौसम में एक जैसा रहता है।
3- रूई को शहद मे भिगोकर उसे जलाये अगर वह तुरंत जल जाती है तो शहद असली है और अगर रूई देर से जलती है तो शहद नकली है।