तुमरुका जी कौन है | तुमरुका जी के उपाय क्या हैं | तुमरुका जी की कथा 2023

तुमरुका जी कौन हैं

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तुमरुका जी कौन है

तुमरुका जी भगवन शिव के भक्त हैं, जिनका शरीर मनुष्य का और सिर अश्व (घोड़े) का है। नारद जी की तरह ही तुमरुका जी के हाथों में भी वीणा रहती है। वे बहुत ही श्रेष्ठ गायक हैं। तुमरुका जी शिव महापुराण की कथा का कथावाचन करते हैं। इन्होने ही देवी चंचला अर्थात माता लक्ष्मी जी को शिवमहापुराण की कथा सुनाई थी। तुमरुका जी के पिता कश्यप और माता प्रधा थीं। इनके चार भाई भी थे।

पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा उनकी शिव महापुराण की कथा में अक्सर तुमरुका जी की कथा का ज़िक्र किया जाता है। जिसमें पंडित जी बताते है कि तुमरुका जी एक महान शिव भक्त थे। जो शिव महापुराण का पाठ करते रहते थे। प्रदीप जी बताते कि जो भी भक्त शिव पूजा करते समय तुमरुका जी का नाम लेता है उसे शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पंडित जी ने अपनी कथा के माध्यम से यह भी बताया है कि तुमरुका जी बहुत ही श्रेष्ठ कीर्तन गायक हैं। वह जब भी कीर्तन गायन करते थे। तब 33 कोटि देवता भी नृत्य करने लगते थे।

तुमरुका जी की कथा

तुमरुका जी कौन है

तुमरुका जी की एक बहुचर्चित कथा इस प्रकार है कि देवराज इंद्र के दरबार में अक्सर प्रसिद्ध गायक, नर्तक, सुंदरिया आया करती थी। इंद्र की सभा इन सब कलाकारों से सुशोभित होती थी। ये सभी इंद्र की सभा में आए हुए अतिथियों का मनोरंजन किया करते थे। एक बार इंद्र के बुलावे पर तुमरुका जी भी उनकी सभा में गए। तुमरुका जी एक बहुत ही श्रेष्ठ गायक थे।

उस दिन इंद्र की सभा में कई अतिथिगण आये हुए थे। उस दिन इंद्र की सभा में गायन की प्रतिस्पर्धा रखी गयी थी। इस प्रतिस्पर्धा में कई और भी गायक हुए थे जिसमें नारद जी भी थे। सभी ने अपना अपना गायन किया। तुमरुका जी ने भी अपना गायन किया जिसे सुनकर भगवान विष्णु जी ने तुमरुका जी की अत्यधिक प्रसंसा की। इस प्रतिस्पर्धा में विष्णु जी ने तुमरुका जी जो प्रमुख गायक का पुरस्कार भी दिया।

तुमरुका जी को पुरस्कार मिलने से बाकी के सभी आये हुए गायकों को जलन होने लगी। नारद जी भी तुमरुका जी को पुरस्कार मिलने से दुखी थे। उनके अंदर भी ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु जी ने सभी गायकों को नारद समेत समझाया की किसी की प्रसिद्धि से विचलित नहीं होना चाहिए। बल्कि उससे सीखना चाहिए। और अपने अंदर की कमियों को दूर करके आगे बढ़ना चाहिए। तुमरुका जी की यह कथा शिव महापुराण में भी बताई गयी है।

तुमरुका जी की फोटो

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तुमरुका जी के उपाय

शिव महापुराण की कथा के अनुसार यदि किसी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नही हो रही है। काफी डॉक्टरों से इलाज़ कराने पर भी संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो उस दम्पति को तुमरुका जी के इस उपाय को करना चाहिए। स्त्री के रजस्वला यानी मासिक के 7वें दिन सफेद आंकड़े की जड़ को लेकर शिवलिंग पर सात बार घुमाकर तुमरुका जी का नाम लेते हुए शिव जी से प्रार्थना करे। फिर उस जड़ को किसी लाल कपड़े में बांधकर स्त्री की कमर में बांध दें। शिव जी की कृपा से जल्द ही उस दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होगी।

तुमरुका जी का मंत्र क्या है?

तुमरुका जी ने शिव महापुराण की कथा के माध्यम से भगवान शिव जी की आराधना का मूल मन्त्र बताया है। जिसके जाप करने से मनुष्य की सभी समस्याएं धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैं। वह मन्त्र है “ॐ नमः शिवाय“। पंडित प्रदीप मिश्रा जी भी अपनी कथा के माध्यम से इस मूल मंत्र का जाप करने के लिए कहते हैं।

इसके अलावा पंडित प्रदीप मिश्रा जी शिव जी की आराधना के लिए तथा समस्त कठिनाइयों को समाप्त करने का एक और उपाय बताते हुए कहते हैं कि “हर समस्या का हल, एक लोटा जल“। अर्थात पंडित जी का कहना है कि अगर आप प्रतिदिन भगवान शिव जी के शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाते हैं तो आपके सारे दुःख समाप्त होने लगते हैं।

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तुमरुका जी का मंदिर कहाँ है ?

तुमरुका जी का मंदिरअभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन फिर भी आप किसी भी शिवमंदिर में जाकर तुमरुका जी का नाम लेकर शिव जी की आराधना कर सकते हैं। भगवान शिव जी आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे।

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