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यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है
यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता इसका अर्थ है भारत में रहने वाला हर एक नागरिक के लिए समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म, लिंग, भेद, जाति का हो। यूनिफॉर्म सिविल कोड में विवाह, तलाक, जमीन जायदाद के बटवारे के लिए सभी धर्मो के लिए एक समान कानून होगा। यह कानून किसी भी धर्म के साथ नहीं है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ एक समान और निष्पक्ष न्याय।
यूनिफॉर्म सिविल कोड दरअसल एक देश में एक कानून की सिद्धांत पर आधारित है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत भारत के सभी धर्मों, समुदाय और पंथों के लोगों के लिए एक ही प्रकार कानून की व्यवस्था का प्रस्ताव है। यूनिफॉर्म सिविल कोड में जिन मुद्दों पर सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून बनाया जाएगा, उनमें व्यक्तिगत स्तर; संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार; विवाह, तलाक और गोद लेना आदि शामिल हैं।
आपको बता दें हमारे संविधान के अनुसार हमारा भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है, जिसमें सभी धर्मों व संप्रदायों जो भारत में निवास करते है उनको मानने वाले नागरिकों को अपने धर्म से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार है। फिलहाल में नागरिक अपने-अपने धर्म के अनुसार बनाए गए कानूनों का पालन करते हैं।
इसी कारण कुछ धर्मों पर कानून कठोर होते हैं तथा धर्मों के कुछ कानून महिलाओं के लिए आपत्तिजनक और भेदभाव पूर्ण है , इसी को समाप्त करने के लिए सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाने की तैयारी में है |
विभिन्न धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर भार पड़ता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से इस परेशानी से राहत मिलेगी और अदालतों में वर्षों से अनसुलझे पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है, देश तेजी से विकास के राह पर आगे बढ़ेगा। देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे |
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों है ज़रूरी ?
दरअसल बात है कि भारत एक योजनाओं से भरा हुआ देश है , इसलिए यहां शादी, तलाक के नियम सभी धर्मो और समुदायों में अलग अलग है | अभी तक हमारे देश में लोग अपने धर्मो के पर्सनल लॉ के अनुसार न्याय होता रहा है , इस कारण न्यायपालिका पर काफी मुस्किल होती थी , लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने के बाद न्याय करना आसान हो जाएगा |
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के फायदे –
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अनुसार भारत में दो प्रकार के पर्सनल लॉ है, हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम पर्सनल लॉ |
मुस्लिम पर्सनल लॉ – भारत में मुस्लिम धर्म को मानने वालो के लिए है| मुस्लिम पर्सनल लॉ ही एकमात्र ऐसा लो है जो भारतीय संविधान के तहत नहीं बनाया गया है , बाकी सभी संविधान को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं |
हिंदू मैरिज एक्ट – 1956 में लागू किया गया था , यह लॉ हिंदू ,सिख, ईसाई, जैन व अन्य धर्मों व संप्रदायों पर लागू होता है। प्रश्न यह उठता है कि जब भारत में 1956 से हिंदू मैरिज एक्ट लागू है , तो मुस्लिम धर्म के लिए भी एक समान कानून होने की बात की जाती है | यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से मुस्लिम महिलाओ और बच्चो में जीवन में काफी सुधार आ सकता है |
यूनिफॉर्म सिविल सेवा की प्रमुख मुद्दे क्या क्या हो सकते है –
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को सरल कानून बनाने के लिए इसको कई हिस्सों में बांटा जा सकता है ,कुछ इस तरह नियम और कानून हो सकते है –
•विवाह की सही उम्र को लेकर
•पति और पत्नीओं की संख्याएँ
• तलाक से जुड़े नियम तथा तलाक देने के तरीके
•तलाक देने की कार्यवाही
•मेंटेनेंस तय करने के नियम
• बच्चे को गोद लेने का अधिकार
•परिवार नियोजन से संबंधित नियम
• संपत्ति का उत्तराधिकार और विरासत से जुड़े नियम
ऊपर बताए गए चैप्टर के बंटवारे के अनुसार ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को बांटा जाएगा। इनमें कुछ और भी सम्मिलित किया जा सकता है तथा कुछ महत्वपूर्ण नियम और भी लागू हो सकते हैं |
हिंदू पर्सनल लॉ –
भारत में हिंदू पर्सनल लॉ को लागू करने के लिए हिंदू कोड बिल आया था , जिसका देश में काफी विरोध हुआ था , तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे 4 हिस्सों में बांट दिया था – हिन्दू मैरिज एक्ट, हिन्दू सक्सेशन एक्ट, हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट , हिन्दू माइनटी एंड गार्जियनशिप एक्ट में विभक्त कर दिया था | इस एक्ट का फायदा महिलाओं को मिलता था , इस ऐप के जरिए महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास किया गया था | इसके अलावा इसमें प्रमुख एक व्यक्ति दूसरी जाति में विवाह कर सकता है लेकिन एक विवाह के रहते दूसरा विवाह नहीं कर सकता था |
मुस्लिम पर्सनल लॉ –
भारत में रहने वाले सभी मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल बोर्ड हैं | मुस्लिम पर्सनल बोर्ड भारत में रहने वाले मुस्लिमों को यह अधिकार देता है कि वह अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहने से तलाक दे सकता है, इस तलाक को ट्रिपल तलाक कहते हैं, अभी हाल ही के वर्षों में मोदी सरकार ने इस ट्रिपल तलाक के मुद्दे को जड़ से खत्म कर दिया बिल पास करके इस कानून को हटा दिया| मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में और भी कई तरीके हैं तलाक देने के लेकिन यह तरीका थोड़ा विवादास्पद था | मुस्लिम मानते हैं कि यह हमारे शरिया कानून का हिस्सा है |
शरिया कानून ?
शरिया कानून वह जिसमें पूरी दुनिया का इस्लामिक समुदाय संचालित होता है| शरिया कानून इस्लामिक लोगों को जीवन जीने के तरीके की व्याख्या करता है |शरिया कानून से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन को परिभाषित करता है | शरिया कानून यह बताता है कि कैसे एक मुस्लिम को अपना पूरा जीवन व्यतीत करना चाहिए | मुस्लिम समाज में जीवन के तौर तरीके उनके लिए नियम बनाए गए हैं उन्हें शरिया कानून कहते हैं | शरिया कानून मुस्लिमों को आर्थिक ,सांस्कृतिक पर गहरा प्रभाव डालता है। इस्लामिक कानून की चार प्रमुख संस्थाएं है , हनफिय्या, मलिकिय्या, शफिय्या और हनबलिय्या है, जो कुरान की आयतों और इस्लामिक समाज के नियमों की अलग-अलग तरह से व्याख्या करते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध क्यों हो रहा है ?
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का काफी विरोध हो रहा है और विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने से सभी धर्म हिंदू धर्म के समान हो जाएंगे। जहां भारत जैसे देश मे यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस हो रही है वही दुनिया में बहुत सारे देशों से भी है जहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है और अच्छे से काम भी कर रहा है, जेसे तुर्की, इंडोनेशिया , बांग्लादेश , मलेशिया , पाकिस्तान और मिस्र इन सभी देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है।