भद्राक्ष रूद्राक्ष का ही एक दूसरा रूप होता है लेकिन ज्योतिष शास्त्रों में इसे निम्न कोटि का माना जाता है। 

देखने में तो भद्राक्ष हूबहू रुद्राक्ष की तरह ही होता है। लेकिन रुद्राक्ष फल का बीज होता है जो फल को तोड़ने के बाद प्राप्त किया जाता है जबकि भद्राक्ष स्वयं फल होता है जो सूखने पर भद्राक्ष का रूप धारण करता हैl 

रूद्राक्ष देखने में स्पष्ट और उभरा हुआ होता है जबकि भद्राक्ष पतला और कम उभरा हुआ होता है। 

रूद्राक्ष भारत और नेपाल दोनो देशों में पाया जाता है जबकि भद्राक्ष सिर्फ भारत में ही पाया जाता है। 

भद्राक्ष के फल में प्राकृतिक छिद्र नहीं होते हैं जबकि रुद्राक्ष के बीजों में बेलनाकार प्राकृतिक छिद्र होता है। 

रुद्राक्ष का उपयोग मंत्र जाप और आभूषणों में किया जाता है लेकिन भद्राक्ष का उपयोग सिर्फ आभूषणों में किया जाता है। 

लैब में भद्राक्ष या नकली रुद्राक्ष की पहचान मैग्निफिकेशन लेंस, सूक्ष्मदर्शी को मदद से किया जाता है। लैब टेस्टिंग में मैग्निफिकेशन को 10 से 40 गुना तक बड़ा करके रुद्राक्ष की परतों को जांचा जाता है। 

जिस प्रकार रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं उसी प्रकार भद्राक्ष भी 9 प्रकार के होते हैं। ऐसा मन जाता है की भद्राक्ष निम्न कोटि के होते हैं।  

एक मुखी भद्राक्ष : यह भद्राक्ष आकार में अर्ध चंद्रकार होता है। इसको धारण करने से ख़ुशी, ज्ञान, समृध्धि और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है। सभी भद्राक्ष में यह एक मुखी भद्राक्ष अत्यधिक धारण किया जाता है।

संमुखी भद्राक्ष यह भद्राक्ष गोलाकार होता है। सबसे दुर्लभ भाद्रक्षों में यह सन्मुखी भद्राक्ष होता है। यह जल्दी प्राप्त नहीं होता है। लेकिन इसे धारण करने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस भद्राक्ष पर सभी देवताओं का आशीर्वाद होता है। इसकी पूजा करने वाले को सब कुछ प्राप्त हो सकता है।