Bhagwat Katha : शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसी बातें बताई गई है जो हमारे वैवाहिक जीवन को सुदृढ़ करती हैं। हमारे शास्त्रों में पत्नी को अर्धांगिनी माना जाता है अर्थात पुरुष का आधा अंग। इसलिए शास्त्रों के अनुसार पत्नी को कभी भी किसी भी परिस्थिति में इन 3 जगहों पर अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। सभी को इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है तो आइए जानते हैं।
पत्नी की बीमारी के समय
Bhagwat Katha में बताया गया है कि यदि पत्नी बीमार हो तो उसे कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उसके साथ रहकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। जिस प्रकार पत्नी अपने पति की बीमारी में उसकी देखभाल करती है उसी प्रकार पति को भी अपनी पत्नी की बीमारी के समय उसकी देखभाल करना चाहिए। जब पत्नी बीमार हो तब उसकी देखरेख करते हुए उसकी सभी जरूरतों को पूरा करना चाहिए।
जब दुनिया उस पर दोष लगाए
अगर आपकी पत्नी सही है परंतु फिर भी समाज में उसे दोष लगाए जा रहे हों, उस समय एक पति को अपनी पत्नी का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उसे सही साबित करने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए। चाहे के लिए फिर उसे पूरे समाज से ही क्यों ना लड़ना पड़े।
पराये पुरुष के साथ
Bhagwat Katha में बताया गया है कि चाहे कितनी भी कठिन से कठिन परिस्थिति ही क्यों ना हो एक पुरुष को अपनी पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ नहीं छोड़ना चाहिए। पति को कैसी भी परिस्थिति में पत्नी के साथ रहना चाहिए ना कि उस परिस्थिति से निकलने के लिए किसी और पर पुरुष के साथ छोड़ देना चाहिए। मनुष्य जीवन में संघर्ष आते ही रहते हैं लेकिन उन संघर्षों से लड़ने के लिए पति और पत्नी को एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
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