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रुद्राक्ष का अर्थ क्या है ? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ?
रुद्राक्ष की उत्पत्ति स्वयं भगवान शिव जी के अश्रुओं अर्थात आंसुओं से हुई है। इसके पीछे की कथा इस प्रकार है कि राजा दक्ष की पुत्री सती जो भगवान् शिव शंकर की भक्त थी। लेकिन राजा दक्ष को यह बिलकुल भी स्वीकार नहीं था। क्योकि वह भगवान विष्णु जी का भक्त था और शिव जी से घृणा करता था। माता सती भगवान शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए उनकी तपस्या करती थी। जिसके कारण दक्ष क्रोधित रहता था।
माता सती ने अपने पिता जी की इच्छा के विरुद्ध जाकर भगवान शिव जी से विवाह कर लिया था। कालांतर में एक बार जब राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें दक्ष ने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन माता सती और भगवान् शिव जी को आमंत्रित नहीं किया। लेकिन माता सती इसके बावजूद भी शिव जी की इच्छा के बिना अपने पिता के घर यज्ञ के आयोजन में गयी। जहाँ दक्ष ने माता सती के सामने भगवान शिव जी का बहुत अपमान किया। जिसे वह सहन नहीं कर पाई। और उन्होंने स्वयं की उस यज्ञ में आहुति दे दी। जिसके कारण माता सती का एक नाम दक्षयज्ञविनाशीनी भी हुआ।
माता सती की मृत्यु होने से भगवान शिव जी बहुत क्रोधित हुए और भगवान शिव जी ने वीरभद्र के रूप में राजा दक्ष का वध कर दिया और माता सती का शव लेकर रोने लगे। इस घटना के बाद शिव जी सृष्टि से विमुख हो गए थे। शिव जी के अवसाद के कारण ब्रह्माण्ड में प्रलय होने लगी। सृष्टि का यह हाल देखकर तब भगवान विष्णु जी ने अपने चक्र से माता सती के शव के 51 भाग कर दिए। यही 51 भाग जहाँ जहाँ गिरे वह शक्तिपीठ कहलाये।
माता सती के शव की यह दशा देखकर भगवान शिव जी अपनी तन्द्रा से निकले और विलाप करने लगे। भगवान् शंकर के विलाप करने से जो अश्रु गिरे वहां से रुद्राक्ष का वृक्ष उत्पन्न हुआ।
असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करे ?
असली रुद्राक्ष पेड़ पर होता है। रुद्राक्ष का वृक्ष किसी अन्य पेड़ की तरह ही होता है इसकी पत्तियां लम्बी होती हैं। रुद्राक्ष के वृक्ष में सफ़ेद रंग के फूल होते हैं। इन्ही फूलों से फल निकलता है। इन फलों को छीलने से जो गुठली निकलती है वही असली रुद्राक्ष होता है। रुद्राक्ष के फल पकने पर अपने आप ही पेड़ से गिर जाते हैं। इसके बाद इन फलों को पानी में या तेल में कुछ घंटो के लिए डाल दिया जाता है। जिससे इसके फल आसानी से गुठली के रूप में रुद्राक्ष प्राप्त होता है।
आज के समय में बाज़ार में फाइबर प्लास्टिक के नकली रुद्राक्ष भी बनाये जाते है। जो देखने में बिलकुल असली जैसे ही लगते हैं। लेकिन इसको पहचानने के लिए कुछ उपाय भी होते हैं। आइये जानते हैं।
असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए रुद्राक्ष को पानी में डालिए। यदि रुद्राक्ष नहीं डूबता है तो वह नकली होगा। यदि रुद्राक्ष डूब जाता है तो वह रुद्राक्ष असली होगा।
असली रुद्राक्ष को तेल में डालने पर वह अपना रंग कभी नहीं छोड़ता है। बल्कि नकली रुद्राक्ष तेल में डालने पैर अपना रंग छोड़ देता है।
असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा –
असली रुद्राक्ष तो आपको पेड़ों पर ही मिल सकता है। रुद्राक्ष के पेड़ भारत के हिमालय प्रदेशों में अधिक पाए जाते हैं। यहाँ आपको वन्य क्षेत्रों में रुद्राक्ष के पेड़ दिखेंगे जहाँ से आप असली रुद्राक्ष प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा भारत के असम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल, देहरादून के जंगली क्षेत्रों में और दक्षिण भारत के कर्णाटक, मैसूर, तथा नीलगिरी के पर्वतों पर भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखने को मिलते हैं।
अगर आप पर्वतों से असली रुद्राक्ष नहीं प्राप्त कर सकते है तो आपको उत्तर और दक्षिण भारत के मंदिरों में असली रुद्राक्ष के फल बिकते हुए मिल जायेंगे। आप यहाँ से भी असली रुद्राक्ष के फल खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप ऑनलाइन भी असली रुद्राक्ष के फल खरीद सकते हैं। जिसे आप घर पर ही साफकर के धारण कर सकते हैं।
रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष एक ऐसा आभूषण है जिसे स्वयं भगवान शिव धारण करते हैं। रुद्राक्ष 21 मुखी तक होते हैं. लेकिन 11 मुखी तक के रुद्राक्ष को अधिक पहना जाता है। रुद्राक्ष को आभूषण के रूप में, गृह शांति के लिए एवं अध्यात्मिक लाभ के लिए पहना जाता है। रुद्राक्ष पहनने के भी अलग-अलग कारण होते है।
हर किसी को उनके शरीर की अवस्था के अनुसार ही रुद्राक्ष पहनने को बताया जाता है। रुद्राक्ष पहनने के बाद लोगों को बड़े ही अद्भुत परिणाम मिलते हैं। परन्तु इसका प्रभाव तभी होता है जब इसे सही तरह से नियमानुसार उपयोग किया जाये। यदि रुद्राक्ष पहनने के लिए नियमों का पालन न किया जाये तो इसका लाभ नहीं मिल पाता है। आइए जानते है अलग अलग मुखी के रुद्राक्ष से जुड़ी जानकारी।
रुद्राक्ष को हाथों में और गले में पहना जाता है। हाथ में 12 रुद्राक्ष और गले में 36 रुद्राक्ष पहने जा सकते हैं। ध्यम रखने वाली बात यह है की रुद्राक्ष को हमेशा लाल धागे में पिरोकर ही पहनना चाहिए। रुद्राक्ष को पहनने से पहले इसे शिवलिंग के सामने रखकर शिव मन्त्रों का जाप करना चाहिए। रुद्राक्ष को अगर सोमवार के दिन, सावन के महीने में, शिवरात्रि के दिन पहना जाये तो ज्यादा शुभ होता है।
एकमुखी रुद्राक्ष की पहचान
एक मुखी रुद्राक्ष गोल या अर्ध चंद्राकर में होता है। इसमें पुरे रुद्राक्ष में एक धारी बनी होती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष को स्वयं भगवान शिव का ही स्वरुप माना जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है। कहा जाता है की जो एक मुखी रुद्राक्ष की प्रतिदिन पूजा करता है व उसे धारण करता है उसपर भगवान शिव जी की कृपा सदैव बनी रहती है। उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
ज्योतिष के अनुसार सिंह राशि के लोगों के लिए एक मुखी रुद्राक्ष बहुत लाभदायक होता है। जिनकी राशि में सूर्य गृह से जुडी समस्याएं हैं उनको एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष माइग्रेन की समस्या होने पर पहनना चाहिए। यह मन को शांत करता है। यह मन को एकाग्र करता है। एक मुखी रुद्राक्ष भी चार प्रकार के होते हैं।
- काला एक मुखी रुद्राक्ष
- पीला एक मुखी रुद्राक्ष
- सफ़ेद एक मुखी रुद्राक्ष
- लाल एक मुखी रुद्राक्ष
एक मुखी रुद्राक्ष से जुड़े कुछ मन्त्र भी हैं जिनको प्रतिदिन स्मरण करना चाहिए।
- पदमपुराण के अनुसार “ओम ओम द्रिशम नमः”
- स्कंदपुराण के अनुसार “ओम ऐ नम:”
- शिवपुराण के अनुसार “ओम ह्रीं नमः”
- योगसूत्र के अनुसार “ओम ओम ब्रह्म नमः”
दो मुखी रुद्राक्ष की पहचान
दो मुखी रुद्राक्ष अधिक्तर अंडाकार आकृति में होता है। यह रुद्राक्ष के बीच में एक धारी इस प्रकार होती है कि रुद्राक्ष दो भागों में विभक्त प्रतीत होता है। इस रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कर्क राशि के लोगों के लिए यह रुद्राक्ष धारण करना बहुत लाभदायक होता है। यदि कोई अपने जीवन में विवाह से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहा है तो उसे इस दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। जिसकी कुंडली में चन्द्रमा कमज़ोर होता है उसे भी इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान
तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान यह होती है कि इसमें तीन धारियां होती हैं। यह रुद्राक्ष अधिकतर गोल होते हैं। यह रुद्राक्ष गति और अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के अनुसार यह रुद्राक्ष मेष राशि और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। यदि आपके जीवन में मंगलदोष है तो इसे दूर करने के लिए भी आप इस रुद्राक्ष को पहन सकते है।
चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान
मुख पर बनी चार धारियों से इस चार मुखी रुद्राक्ष को पहचाना जा सकता है। यह रुद्राक्ष भी गोल आकार का होता है। इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी का रूप कहा जाता है। मिथुन और कन्या राशि के लिए यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावशाली होता है। यह त्वचा और बोलने से सम्बंधित समस्या को दूर करने के लिए सहायक हो सकता है।
पंच मुखी रुद्राक्ष की पहचान
मुख पर बनी पांच धारियों से इस चार मुखी रुद्राक्ष को पहचाना जा सकता है। पांच मुखी रुद्राक्ष अधिकतर गोल आकार के होते हैं। इस रुद्राक्ष को कालाग्नि देवता जिन्हें शिव जी के ही रूप में भी जाना जाता है। इसको पहनने वाला वर्तमान जीवन में अपने पापों से शुद्ध हो सकता है। यह सबसे अधिक मिलने वाला रुद्राक्ष है। यह रुद्राक्ष मन को शुद्ध और शांत करता है।
इसको पहनना आपको ताकत और ज्ञान प्रदान करता है। यह रुद्राक्ष धनु और मीन राशि के लिए बहुत फायदेमंद है। बृहस्पति ग्रह से जुडी समस्याओ को दूर करने के लिए यह रुद्राक्ष बहुत प्रभावी होता है। अनिद्रा से बचने के लिए भी इसे धारण कर सकते हैं। ह्रदय रोग, मधुमेह, तनाव, अवसाद, एसिडिटी जैसी बीमारियों को दूर करने में यह रुद्राक्ष बहुत ही प्रभाव शाली है।
छः मुखी रुद्राक्ष की पहचान
छः मुखी रुद्राक्ष को उसके मुख पर बनी 6 रेखाओं से पहचाना जा सकता है। इसको कार्तिकेय के रूप में माना जाता है। यह रुद्राक्ष अधिकतर गोल आकार का होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से आपका आकर्षण बढ़ता है। यह आपको व्यवसाय में वित्तीय लाभ प्रदान कर सकता है। शुक्र गृह दशा की स्थिति को सुधरने के लिए लोगों को इसे धारण करना चाहिए। राशि के अनुसार तुला और वृषभ राशि के जातकों को इसे धारण करना चाहिए।
सात मुखी रुद्राक्ष की पहचान
मुख पर सात धारियों से सात मुखी रुद्राक्ष को पहचाना जा सकता है। यह रुद्राक्ष माता महालक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से दरिद्रता दूर होती है। धन का आगमन होता है। इसे सप्तमातृका और सप्तऋषि रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस रुद्राक्ष को मारक दशा में पहनना शुभ रहता है। यह रुद्राक्ष मकर और कुम्भ राशि के लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह रुद्राक्ष शनि की दशा से रक्षा करता है। अर्थात इसे धारण करके आप शनि के प्रकोप से बच सकते हैं।
आठ मुखी रुद्राक्ष की पहचान
आठ धारियों वाला रुद्राक्ष आठ मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। यह प्रायः गोल आकार में होता है। इसे पहनने वाला व्यक्ति अकाल मृत्यु से बचा रहता है। इस रुद्राक्ष को अष्ट देवियों का रूप माना जाता है। इसको पहनने वाले व्यक्ति की रक्षा अष्ट देवियाँ करती हैं। इसको पहनने वाले को अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है। इसको धारण करने से राहू गृह से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इससे व्यक्ति काली शक्तियों से बचा रहता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष की पहचान
गोल आकार के मुख पर नौ रेखाओं के साथ इस रुद्राक्ष को नवदुर्गा का रूप माना जाता है। धन-संपत्ति, यश, कीर्ति, के साथ सभी प्रकार के सुख पाने के लिए इसे धारण किया जा सकता है। आँखों की दृष्टि को तेज़ करने के लिए इसे धारण किया जा सकता है। अपने करियर में आगे बढ़ने वाली महिलाओं को यह रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
दस मुखी रुद्राक्ष की पहचान
प्राकृतिक रूप से दस मुखी रुद्राक्ष में दस धारियां होती हैं। यह रुद्राक्ष प्रायः गोल आकार का होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले पर भगवान विष्णु जी की कृपा होती है। राशि के अनुसार वृष राशि वालों को इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पहचान
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए इसके मुख पर ग्यारह धारियां देखें। इस रुद्राक्ष को भगवान शिव का रूप भी माना जाता है। अपने बच्चों से सम्बंधित समस्या को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते है। मिथुन राशि वालों को इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
गणेश रुद्राक्ष की पहचान
जैसा की नाम से ही पता चलता है की यह रुद्राक्ष गणेश जी की छवि के जैसा ही होगा। इस रुद्राक्ष में गोल मुख के आकार के साथ एक सूंढ़ भी होती है। यह साक्षात् गणेश जी का प्रतीक होता है। बुद्धि और विवेक के देवता भगवान् श्री गणेश जी के रूप वाले इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को बुद्धि और विवेक प्राप्त होता है। मानसिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य को जुडी समस्याओं को दूर करने के लिए आप इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
गौरी शंकर रुद्राक्ष की पहचान
प्राकृतिक रूप से दो जुड़े हुए रुद्राक्ष को गौरी शंकर रुद्राक्ष कहते हैं। जिसे माता पार्वती और भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष जो भी पहनता है उसपर भगवान् गौरी शंकर स्वयं कृपा करते हैं। गृहस्थ जीवन में खुशहाली पाने के लिए इस रुद्राक्ष को पति -पत्नी धारण कर सकते हैं। इसे १४ वर्ष से उपर के लोग धारण कर सकते है। इस रुद्राक्ष को मास शिवरात्रि, शुक्ल पक्ष में सोमवार, रवि पुष्य संयोग और सवार्थ सिद्धि योग में अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुक्सान :
१. रुद्राक्ष का प्रयोग मुख रूप से मंत्रो के उचारण के लिए किया जाता है.
२. रुद्राक्ष को धारण करने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है.
३ रुद्राक्ष के पेड़ की छाल कई प्रकार की औषधि बनाए के काम मैं आती है.
राशि के अनुसार रुद्राक्ष पहने :
राशि | रुद्राक्ष |
मेष राशि – | तीन मुखी रुद्राक्ष |
वृष राशि – | छह या दस मुखी रुद्राक्ष |
मिथुन- | चार या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष |
कर्क – | चार मुखी और गौरीशंकर रुद्राक्ष |
सिंह – | एक मुखी रुद्राक्ष |
कन्या – | गौरीशंकर रुद्राक्ष |
तुला- | सात मुखी रुद्राक्ष |
वृश्चिक – | आठ और तेरह मुखी रुद्राक्ष |
धनु- | पांच मुखी रुद्राक्ष |
मकर- | दस मुखी रुद्राक्ष |
कुंभ- | सात मुखी रुद्राक्ष |
मीन- | एक मुखी रुद्राक्ष |
असली रुद्राक्ष कहां मिलेगा ?
भारत के हिमालय प्रदेशों से असली रुद्राक्ष प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा भारत के असम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल, देहरादून के जंगली क्षेत्रों में और दक्षिण भारत के कर्णाटक, मैसूर, तथा नीलगिरी के पर्वतों पर भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखने को मिलते हैं। उत्तरी भारत के मंदिरों से भी असली रुद्राक्ष के फल खरीद सकते हैं और आप इसे ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं।
क्या असली रुद्राक्ष पानी में डूबता है ?
जी हाँ असली रुद्राक्ष को यदि पानी में डाला जाये तो वह डूब जाता है।
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