Kedarnath Yatra 2022 : कहते हैं बहुत ही सौभाग्यशाली होते हैं जिनको बाबा केदारनाथ जी का बुलावा आता है। पिछले दो सालों से कोरोना के चलते यात्रा स्थगित कर दी गई थी। परंतु इस वर्ष 2022 में इस यात्रा को फिर से आरंभ किया गया और हम सबके भाग्य में भगवान भोलेनाथ का बुलावा लिखा था उन्होंने हमें केदारनाथ में दर्शन देने के लिए बुलाया। इस लेख के माध्यम से हम इस वर्ष केदारनाथ यात्रा के विषय में आपको सभी जानकारियां देंगे और यह भी बताएंगे कि हमारी यात्रा कैसी रही और आपकी यात्रा सुखद कैसे बनाई जा सकती है आइए जानते हैं हमारी यात्रा का आरंभ से लेकर अंत तक का यात्रा वृतांत।
यात्रा का आरंभ
हमारी यात्रा का आरंभ होता है उत्तर प्रदेश के मेट्रो शहर कानपुर से दिनांक 4 मई 2022 रात्रि 11:00 बजे कानपुर सेंट्रल स्टेशन से हमारी यात्रा आरंभ होती है। कानपुर से हरिद्वार पहुंचने के बाद हम ऋषिकेश पहुंचे वहां हमने त्रिवेणी घाट पर संध्या स्नान किया आरती की और भोजन करने के बाद अपने होटल में विश्राम किया।
त्रिवेणीघाट, ऋषिकेश की कुछ झलक






अगली सुबह दिनांक 6 मई 2022 को हम Kedarnath Yatra 2022 के लिए निकल गए। हम कुल 19 लोग इस यात्रा में गए थे जिसमें से 3 बच्चे थे। काफी उत्साह था इस यात्रा को लेकर 6 मई की सुबह करीब 7:00 बजे हम निकले और 2:00 बजे तक हम सोनप्रयाग पहुंच गए। वहां हमने एक कमरा लिया जहां पर हम रुके खाना खाया और अगली सुबह हम गौरीकुंड के लिए निकले।
पिछले 2 साल से यात्रा स्थगित होने के कारण इस साल भक्तों की संख्या कुछ ज्यादा ही रही जिसके कारण यातायात प्रभावित रहा और हमें काफी दूर पैदल भी चलना पड़ा। हमें सोनप्रयाग पहुंचने के लिए भी काफी दूर पैदल चलना पड़ा उसके बाद सोनप्रयाग पहुंचने के बाद हमें एक लाइन में लगना पड़ा जो की टैक्सी की लाइन थी और जो टैक्सी सोनप्रयाग से गौरीकुंड लेकर जाती है और यह टैक्सी सरकार द्वारा ही चलाई जाती है। इस बार यात्रियों की संख्या ज्यादा होने के कारण हमें इस लाइन में करीब 2 से 3 घंटे लगना पड़ा उसके बाद हमें टैक्सी मिली जो कि हमें गौरीकुंड लेकर गई।
Kedarnath Yatra 2022 Treking
गौरीकुंड पहुंचने के बाद वहां से केदारनाथ के लिए 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा के लिए हम तैयार हुए। पहले तो हमने निर्णय लिया कि हम सब पैदल ही यात्रा करेंगे, लेकिन समय की कमी और बच्चों के कारण हमने सबने घोड़े से जाना उचित समझा और घोड़ों के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जहां पर भी हमारा करीब एक घंटा व्यर्थ हुआ।उसके बाद हम घोड़े पर सवार होकर केदारनाथ की यात्रा के लिए आगे चले।

महादेव की परीक्षा
गौरीकुंड से चलने के बाद हमारा पहला पड़ाव जंगल चट्टी पड़ा क्योंकि मैं घोड़े पर पहली बार बैठा था तो मुझे काफी तकलीफ हुई थोड़ा आगे चलने के बाद मौसम में बदलाव हुआ और अचानक बारिश शुरू हो गई। मैं एक बैग लेकर गया था जिसमें मेरा कैमरा और रेनकोट था लेकिन बारिश इतनी तेज हो गई कि मुझे मौका ही नहीं मिला कि मैं जल्द से जल्द अपना रेनकोट पहन सकूं फिर भी एक पेड़ के नीचे आने के बाद मैंने अपना बैग खोला और अपना रेनकोट निकाला और पहना लेकिन तब तक मैं भीग चुका था मैंने गर्म कपड़े पहने हुए थे। वह सारे गर्म कपड़े गीले हो चुके थे सच मानिए तो यह हमारी परीक्षा का पहला भाग था जिसका हमने सामना किया थोड़ा आगे चलने के बाद अचानक बहुत ही तेज बिजली कड़की। सभी में काफी डर बैठ चुका था। घोड़े इधर-उधर भागने लगे मुझे भी बहुत ही ज्यादा डर लगा। ऐसा लगा मानो कुछ अनहोनी सा घटने वाला है लेकिन मन से एक आवाज निकली की यह सब भगवान की परीक्षाएं है इनका हमें सामना करना होगा और सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देना होगा।
थोड़ा दूर आगे चलने पर हमारे सभी साथी एक साथ मिले बारिश तेज हो रही थी और हम एक छाया में खड़े हुए। सभी के मन में एक डर था की यात्रा बहुत ही कठिन होने वाली है और कुछ लोग तो हार मानने लगे थे और यह कहने लगे थे कि वे इस यात्रा को पूरा नहीं कर पाएंगे और यहीं से वापस हो जाएंगे। कुछ लोग तो वापस होने भी लगे थे। हमारे परिवार के लोग भी यह कहने लगे कि इस यात्रा को किस प्रकार कर पाएंगे लेकिन मेरा मन अंदर से यही कह रहा था कि यह सारी परीक्षाएं है और भगवान किसी को इतनी आसानी से दर्शन नहीं देते हैं कुछ ना कुछ तो कष्ट हमे सहना ही होगा शायद इसके आगे सब कुछ अच्छा हो जाए।
थोड़ी देर बाद बारिश हल्की हुई और हम सब आगे बढ़े। उस दिन यात्रा में लाखों लोग आए हुए थे जिसकी वजह से बहुत भीड़ हो गई थी। घोड़ों का जाम लग रहा था जिसकी वजह से यात्रा जगह जगह पर रुक रही थी। आगे चलने के बाद बारिश बंद हो गई हम भीगे हुए थे लेकिन हमने हार नहीं मानी और मन में महादेव का नाम लेते हुए आगे बढ़ते गए।
केदारनाथ यात्रा का दूसरा पड़ाव भीमबली
आगे बढ़ते हुए महादेव का नाम लेते हुए केदारनाथ यात्रा के दूसरे पड़ाव और इस यात्रा के आधे भाग भीमबली पहुंचे। यहां पर महाराज भीम का एक मंदिर बना हुआ है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि केदारनाथ मंदिर को महाराज भीम ने बनाया था। केदारनाथ यात्रा के रास्ते में कुछ छोटी-छोटी दुकानें मिलती थी जहां पर खाने का सामान मिल जाता था जैसे: बिस्किट, मैगी, चिप्स, पराठे इत्यादि। हम जिस घोड़े पर चल रहे थे उनके अलग-अलग नाम थे। जैसे मेरे घोड़े का नाम कली था। यहां पर लगभग सभी घोड़ों ने पानी पिया। हल्की हल्की बारिश लगातार चलती रही हम जाम में फंसते रहे जैसे ही हमें मौका मिलता वैसे हम लोग कुछ खाने के लिए बिस्किट, नमकीन वगैरह खाते रहे पानी पीते रहे।
केदारनाथ यात्रा में रामबाड़ा की खड़ी चढ़ाई
भीम बली से आगे बढ़ने पर हमें बहुत ही खड़ी चढ़ाई देखने को मिलती हैं। क्योंकि मैं घोड़े पर पहली बार बैठा था तो मुझे घोड़े वाले ने पहले से ही बता रखा था कि चढ़ाई पर मुझे किस तरह से बैठना है। उसने बताया कि जब चढ़ाई आए तो घोड़े पर आगे की ओर झुक जाना और जब उतरना हो कहीं पर तो अपने आप को पीछे की ओर कर लेना। मैं वैसा ही करता रहा। कभी-कभी तो ऐसा लगता था यहीं पर ही घोड़े से उतर जाए और पैदल यात्रा शुरू करें लेकिन मैं अकेला ही पैदल यात्रा करता तो सबसे पीछे हो जाता और जल्दी से बेस कैंप ना पहुंच पाता। हमारा अगला पड़ाव था मंदिर से डेढ़ किलोमीटर पहले बेसकैंप जहां पर हमें जल्द से जल्द पहुंच कर रुकने की व्यवस्था करनी थी। धीरे धीरे शाम हो रही थी अंधेरा हो रहा था तो घोड़े वाले ने अपनी चाल बढ़ाई और हम आगे बढ़ने लगे तेजी से।

केदारनाथ बाबा की यात्रा का जो रास्ता है वह थोड़ा सा सकरा होने की वजह से जगह-जगह पर घोड़ों की भीड़ लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी लेकिन सभी महादेव का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे सबके मन में उत्साह था महादेव से मिलने का और महादेव की धुन में सब आगे बढ़ते जा रहे थे जैसे मानो उनका डर खत्म हो गया हो। रास्ते में हमें बर्फ मिलना शुरू हुई। पहाड़ों पर पहले से जमी हुई बर्फ और बहते हुए झरने देखने को मिले।

चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ और पहाड़ों से बहते हुए झरने बहुत ही मनोरम दृश्य लग रहा था। इन दृश्यों को देखते हुए और महादेव का जयकारा लगाते हुए हम सब आगे बढ़ते रहे थकावट जरूर थी लेकिन मन में उत्साह था और हम आगे बढ़ते रहें हल्की हल्की बारिश ठंडा मौसम और बर्फ की चादरों से ढके हुए पहाड़ हमें और भी उत्साहित कर रहे थे वहां ऊपर बाबा केदारनाथ तक पहुंचने के लिए।
केदारनाथ यात्रा आखिरी पड़ाव बेस कैम्प
धीरे-धीरे चढ़ते चढ़ते हम शाम 7:00 बजे केदारनाथ बेस कैंप पहुंचे घोड़े से उतरते ही अपने दर्द को छुपाते हुए महादेव का नाम लेते हुए इतना खुश हुए जैसे हमें महादेव ही मिल रहे हो वहां का नजारा स्वर्ग से कम नहीं था मैं घोड़े से उतर कर पहाड़ पर लेट गया था। करीब 5 से 10 मिनट पहाड़ पर लेट कर ही महादेव का नाम लेता रहा। ऐसा लग रहा था कि मैं महादेव की गोद में लेटा हूं। मेरा पूरा शरीर भीगा हुआ था मैं ठंड से कांप रहा था लेकिन वह खुशी ऐसी थी जैसे मुझे ठंड का एहसास ही नहीं होने दे रही थी।

कुछ देर बाद हमने निश्चय किया कि हमें रुकने की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि रात्रि हो रही थी और पहाड़ों पर बर्फ गिरने लगी थी। आगे बढ़कर हमने एक टेंट किराए पर लिया जिसमें हम सभी 19 लोग रुके हमने कपड़े बदले दूसरे गर्म कपड़े पहने और खाना खाकर अगले दिन के लिए सो गए हमें सुबह 4:00 बजे उठकर अपनी आगे की यात्रा शुरू करनी थी। थकावट इतनी थी कि हमें तुरंत ही नींद आ गई और सुबह 3:00 बजे हमारी आंख खुली हमारी रजाई अंदर से तो गर्म थी लेकिन बाहर से पूरी ओस से भीगी हुई थी। हम सब एक एक करके उठे और आगे की यात्रा के लिए तैयारी करने लगे। हमारी माता जी को स्वास्थ्य में कुछ गड़बड़ सा लगा उनके सर में दर्द हो रहा था। हमने उनको दवा दी और उनसे थोड़ी देर आराम करने के लिए कहा और हम सब तैयारी में लग गए।
करीब 6:00 बजे हमने अपना टेंट छोड़ दिया और वहां से आगे डेढ़ किलोमीटर बाबा केदारनाथ की ओर बढ़े। हम करीब आधे किलोमीटर आगे बढ़े और हमें एक बहुत ही लंबी लाइन का सामना करना पड़ा जोकि मंदिर तक जाती थी सभी भक्त उस लाइन में लगकर बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। शायद हमने गलती की इसकी वजह से हमें इतनी लंबी लाइन का सामना करना पड़ा वहां के लोगों से पूछने पर पता चला कि अगर हम रात्रि में ही उस लाइन में लगते तो हमें जल्दी दर्शन हो जाते हैं लेकिन आप वहां अपनी मर्जी से नहीं जाते हैं भोलेनाथ जैसे चाहेंगे वैसे ही दर्शन आपको मिल पाएंगे। धीरे-धीरे सभी लोग लाइन में आगे बढ़ते रहें हेलीकॉप्टर का आना-जाना शुरू हुआ बहुत ही मनोरम दृश्य था। माता गंगा का वह दृश्य इसे देख कर सबका मन प्रफुल्लित हो रहा था। हम सब ने यह निर्णय लिया कि कुछ लोग लाइन में लगकर कुछ लोग माता गंगा के दर्शन करें उनके साथ कुछ फोटो ले। तो हम सब वहां से नीचे की ओर माता गंगा के प्रवाह की ओर आगे बढ़े।

बर्फ से ढके पहाड़, झरने, माता गंगा का प्रवाह इन सब दृश्यों को अपने कैमरों में कैद करने लगे मंदिर से करीब 1 किलोमीटर पहले एक हेलीपैड बनाया गया था। जहां पर लगातार हेलीकॉप्टर आ जा रहे थे। धीरे धीरे सूर्य देव चढ़ने लगे और इन 2 दिनों में पहली बार हमें सूर्य देव के दर्शन हुए बर्फ से ढके हुए पहाड़ों की सर्दी में पहली बार सूर्य भगवान की किरणें हम पर पड़ी और वह बहुत ही मनोरम दृश्य था। थोड़ा आगे बढ़ने के बाद हमें बाबा केदारनाथ मंदिर की चोटी दिखाई पड़ी। जैसे ही हमने दूर से ही बाबा केदारनाथ मंदिर के दर्शन किए हमारी आंखों से आंसू निकल आए और बाबा का जयकारा करते हुए हम आगे बढ़ने लगे।

बाबा केदारनाथ दर्शन
करीब 6 से 7 घंटे लाइन में लगने के बाद हम मंदिर की तरफ पहुंचे सब की खुशी का ठिकाना नहीं था। हम सब ने मंदिर के साथ अपनी अपनी तस्वीर कैमरे में कैद की। 15 से 20 मिनट बाद लाइन में लगकर हमें बाबा केदारनाथ के दर्शन हुए। मन इतना उत्साहित था कि मानो आंखों से जैसे गंगा माँ प्रवाहित हो रही हों। जी भर के मन भर के बाबा केदारनाथ के दर्शन हुए। मन में महादेव महादेव महादेव गूंज रहा था आंखों से माँ गंगा प्रवाहित हो रही थी और मन बहुत ही प्रफुल्लित था बहुत अच्छे से दर्शन हुए बाबा केदारनाथ के।

दर्शन होने के बाद हम बाहर मंदिर प्रांगण में निकले और वहां बैठे साधु संतों का दर्शन करके आगे बढ़े।
केदारनाथ मंदिर के साधु संतों की झलक Kedarnath Yatra 2022






भीम शिला दर्शन, Kedarnath Yatra 2022

बाबा केदारनाथ के दर्शन करके हम मंदिर प्रांगण में निकले और भीम शिला की ओर बढ़े मंदिर के पीछे एक विशाल शिला रखी हुई है जिसे भीम शिला के नाम से जाना जाता है यह वही भीम शिला है जो साल 2013 की महा जलप्रलय में अचानक अपने आप ठीक मंदिर के पीछे आकर रुक गई थी। और मंदिर में शरण लिए हुए सभी भक्तों और मंदिर की रक्षा की थी। कहां जाता है कि महाराज भीम इस मंदिर के रक्षक के रूप में आज भी इस शिला में विद्यमान है।

भीम शिला केदारनाथ बाबा के दर्शन और मंदिर प्रांगण में कुछ देर रुकने के बाद वहां से आदि शंकराचार्य जी की समाधि स्थल की ओर गए और दर्शन किये।

हम अपनी Kedarnath yatra 2022 में वापसी की ओर बढ़े दोपहर 1:00 बजे हमने अपनी केदारनाथ बाबा की वापसी यात्रा शुरू की। वापसी की यात्रा हमने पैदल करने का निर्णय लिया। कुछ लोगों का समूह शाम 7:00 बजे तक नीचे गौरीकुंड पहुंच चुका था परंतु मेरे साथ मेरी धर्मपत्नी और मेरी माताजी अपनी छोटी पुत्री के साथ चल रही थी जिनके साथ हम रात्रि 10:00 बजे तक नीचे गौरीकुंड पहुंचे वहां से हमने सोनप्रयाग के लिए टैक्सी की और सोनप्रयाग पहुंचकर हमने भोजन किया और हम अपने कमरे के लिए टैक्सी ढूंढने लगे परंतु पता चला कि सोनप्रयाग में बहुत लंबा यातायात बाधित है अतः हमें वहां से 6 किलोमीटर पैदल यात्रा करके अपने कमरे की ओर जाना पड़ा।
तो ऐसी रही हमारी रोमांचक, मनोरम, दिव्य, बाबा Kedarnath yatra 2022। यात्रा से जुड़ी कुछ सावधानियां जिनके बारे में हम आगे आपको बताएंगे जिनको जानना आपके लिए बहुत आवश्यक है।
केदारनाथ यात्रा में रखी जाने वाली सावधानियां
- Kedarnath yatra 2022 पर जाने से पहले केदारनाथ यात्रा रजिस्ट्रेशन अवश्य करवा लें।
- यात्रा शुरू करने से पहले जो सामान आप ले जा रहे हैं उसे किसी पॉलिथीन में अवश्य रख ले।
- यात्रा शुरू करने से पहले आप रेनकोट जरूर पहन ले।
- अपने कपड़े और कैमरे मोबाइल फोन आदि को किसी पॉलिथीन में लेकर ही जाएं
- अपने साथ कुछ खाने पीने की वस्तुएं जैसे: चने ड्राई फ्रूट्स बिस्किट नमकीन इत्यादि जरूर ले जाएं क्योंकि वहां खाने पीने को बहुत महंगा मिलता है।
- जितना हो सके यात्रा में अपने आप को सुखा रखने की कोशिश करें अन्यथा ऊपर पहुंचने पर आपको सर्दी जुकाम खांसी इत्यादि हो सकता है।
- अगर आपको सांस की बीमारी हो तो यात्रा पैदल करने से बचें। यात्रा पैदल करने के बजाए घोड़े, खच्चर, पालकी, डोलची या हेलीकॉप्टर से ही करें।
- बेस कैंप से सुबह जल्दी निकले और दर्शन की लाइन से बचें। सुबह 6:00 बजे के पहले आपको बाबा केदारनाथ को स्पर्श करने का मौका मिल सकता है।
आपको हमारी इस Kedarnath yatra 2022 का यात्रा वृतांत कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसे ही यात्रा वृतांत के लिए हमें जरूर सब्सक्राइब करें धन्यवाद जय बाबा केदारनाथ
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Bahut hi rochak yatra Rahi aapki.