Mountain Facts, पर्वतों से जुड़े रोचक तथ्य, उड़ने वाला पर्वत, गब्बर पर्वत, संजीवनी बूटी वाला पर्वत, अमर पर्वत, पर्वतों पर पाए जाने वाले दुर्लभ फल फूल इत्यादि, पर्वतों पर बने मंदिरों एवं उनसे जुड़े रहस्यों की जानकारी.
उड़ने वाला पर्वत ( मैनाक Mountain Facts) :
पुरानों के अनुसार सतयुग में पर्वतों के भी पंख हुआ करते थे। जब ऋषियों को लगा की उनके यज्ञ करते समय यह पर्वत कहीं उनके ऊपर गिर न पड़े तब इंद्रदेव ने सभी पर्वतों के पंख काट दिए। लेकिन वायुदेव ने पर्वतों के राजा मैनाक पर्वत की रक्षा की। यही मैनाक पर्वत एकलौता पंखधारी पर्वत बचा जो समुद्र के अन्दर है । समुद्र लांघकर जब हनुमान जी लंका जा रहे थे तो इसी मैनाक पर्वत ने हनुमान जी से विश्राम करने की विनती की थी। मैनाक पर्वत हिमालय और मेना का पुत्र कहा जाता है.
गंधमादन पर्वत :
हिन्दू पौराणिक धर्म ग्रंथों में कई दिव्य पर्वतों के बारे में उल्लेखित है. उन्ही में से एक गंधमादन पर्वत है जहाँ पर देवता रमण करते है, ऋषि श्रेष्ठ कश्यप ऋषि ने इसी पर्वत पर तपस्या की थी. महाभारत काल में इसी पर्वत पर कुंतीपुत्र भीमसेन ने तपस्या करके हनुमान जी से विद्या प्राप्त की थी. यह पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत से उत्तर दिशा की ओर स्थित है. वर्तमान में यह तिब्बत के इलाके में है.
संजीवनी बूटी वाला पर्वत (द्रोणागिरी पर्वत) :
रामायण काल में जब राम और रावण का युद्ध चल रहा था तब मेघनाथ ने अपने शक्ति अस्त्र से लक्ष्मण जी पर प्रहार किया था जिसके कारण वे मूर्छित हो गए थे तब वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने को कहा और तब वह हिमालय के द्रोणागिरी पर्वत हुआ करती थी. भगवान् श्री राम जी ने हनुमान जी से कहा को जाओ और सूर्योदय से पहले संजीवनी बूटी लेकर आओ. हनुमान जी हिमालय की कंदराओ में संजीवनी बूटी को खोजते हुए द्रोणागिरी पर्वत पर पहुचे जहाँ उन्हें कई सारे वृक्ष लताएँ आदि दिखी.
लेकिन उन्हें यह नहीं पता था की इनमें से कौन सी संजीवनी बूटी है, तो हनुमान जी पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उठाकर ले गए और श्री लंका पहुच कर उन्होंने लक्ष्मण जी की जान बचायी. यह पर्वत आज भी श्री लंका में है, इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है. आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पायी जाती है.
कैलाश पर्वत :
Kailash Mountain Facts : हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत महादेव शिव शंकर और माता पार्वती का स्थाई निवास स्थल माना जाता है.
कैलाश पर्वत की यात्रा बहुत ही कठिन यात्रा होती है. कैलाश मानसरोवर यात्रा में जाने के लिए वर्तमान में भारत से चीन जाना पड़ता है.
कहा जाता है भगवान् विष्णु जी के चरण कमल से निकल कर माता गंगा को कैलाश में ही भगवान् शिव जी अपनी जटाओं में धारण करते है.
कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना जाता है. यह पृथ्वी का एक ऐसा केंद्र है जिसे रशियन भाषा में एक्सिस मुंडी (Axix Mundi) अर्थात पृथ्वी की नाभि कहा जाता है. जिसका अर्थ होता है अलौकिक शक्तियों का केंद्र.
कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध (मना) है. परन्तु कहा जाता है की 11 सदी में एक बौद्ध योगी मिलोरेपा में कैलाश पर चढ़ाई की थी. लेकिन उनसे पूछे जाने पर उन्होंने इस बारे में कुछ बताया नहीं था अतः यह भी एक रहस्य ही है.
कैलाश पर्वत पर दो सरोवर है, पहला मानसरोवर झील जिसमें मीठा जल है, और दूसरा राक्षस सरोवर जिसमें खारा जल है l
इन्द्रकील पर्वत :
Indrakeel Mountain Facts : हिमालय के उत्तर में स्थित इन्द्रकील पर्वत पर अर्जुन ने उग्र तपस्या की थी जिसके फल स्वरुप अर्जुन को अपने धर्म पिता इंद्रदेव के दर्शन प्राप्त हुए थे. महाभारत काल खंड में इसी पर्वत पर ही भगवान् शिव और अर्जुन का युद्ध हुआ था.
बिजली महादेव पर्वत :
हिमांचल प्रदेश (भारत) के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर है जो एक अजगर के आकार में बने पहाड़ पर बना है. इस मंदिर की मान्यता है की यहाँ हर 12 साल में एक बार बिजली गिरती है, जिसके कारण शिवलिंग टूट जाता है लेकिन यहाँ के पुजारी शिवलिंग पर मक्खन लगाकर भगवान् शिव की अराधना करते है इसके बाद टूटा हुआ शिवलिंग जुड़ जाता है. इसलिए स्थानीय लोग इन्हें मक्खन महादेव भी कहते हैं.
माउंट एवरेस्ट (हिमालय)
Everest Mountain Facts: हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है। यह पृथ्वी की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। माउंट एवेरेस्ट एशिया में नेपाल, तिब्बत, चीन की सर्वोच्च पर्वतीय श्रंखला है. माउंट एवेरेस्ट को दुनिया में अलग अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे : संस्कृत भाषा में इसे देवगिरी, नेपाल में इसे सगरमाथा, चीन में इसे चु-मु-लांग-मा-फेंग, तिब्बती भाषा में इसे चोमोलुंग्मा कहा जाता है.
माउंट एवेरेस्ट पृथ्वी का सबसे सर्वोच्च स्थान होने के कारण दुनिया भर से कई पर्वतारोही इस पर जाने का सफल प्रयास कर चुके है. एवेरेस्ट की ओर जाने वाले मार्ग का दो तिहाई हिस्सा पृथ्वी के वायुमंडल के ऐसे हिस्से में आता है जहाँ ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है.
अरावली पर्वतमाला :
अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियां भारत के 4 राज्यों में फैली हुई है। यह चार राज्य राजस्थान हरियाणा गुजरात और दिल्ली है। अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियां गुजरात के अहमदाबाद और राजस्थान के अजमेर तथा जयपुर से होते हुए हरियाणा के दक्षिण भाग में प्रवेश करती हैं और दिल्ली के दक्षिणी भाग तक आते-आते उनकी ऊंचाई बेहद कम हो जाती है।अरावली पर्वत श्रृंखला की लंबाई 662 किलोमीटर है।
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में बना हुआ राष्ट्रपति भवन रायशेला पहाड़ी जोकि अरावली पर्वतमाला की श्रंखला है, उस पर बना हुआ है।
माउंट आबू पर्वत :
माउंट आबू पर्वत अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों में से एक है. यह पर्वत राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है. यहाँ शिव जी का एक ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान् शिव जी के अंगूठे की पूजा होती है.
गोवर्धन पर्वत :
Goverdhan Mountain Facts : हिन्दू सनातन धर्म में गोवर्धन पर्वत को साक्षात् भगवान् कृष्ण का अवतार माना जाता है. यह पर्वत उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में है.
ऐसी मान्यता है की यह पर्वत किसी शाप के कारण गोवर्धन पर्वत तिल-तिल (धीरे-धीरे) घटता जा रहा है. द्वापर युग में भगवान् कृष्ण के समय में यह उनकी लीला स्थली होती थी तब यह पर्वत काफी ऊंचा हुआ करता था.
गोवर्धन पर्वत पर कई चमत्कारिक स्थल है, इस पर्वत पर एक ऐसी शिला है जिसपर अपनी ऊँगली रगड़ने पर उससे सिन्दूर निकलता है. इस शिला को सिन्दूरी शिला भी कहते है.
गब्बर पर्वत :
गुजरात के बनासकांठा जिले में एक छोटा सा पर्वत है जिसे गब्बर पर्वत कहा जाता है. इस पर्वत से होकर पवित्र सरस्वती नदी भी बहती है. यह स्थल पौराणिक 51 शक्तिपीठों में से एक गिना जाता है. इस पर्वत पर माता सती का ह्रदय भाग गिरा था.
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